आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरना दे रहे किसान
जांजगीर. सहकारी बैंक के प्रभारी प्रबंधक और डभरा बैंक प्रबंधक ने की थी 12 से ज्यादा किसानों के नाम पर 25 लाख रुपए की हेराफेरी
लघु एवं सीमांत किसानों के नाम फर्जी तरीके से फर्जी केसीसी लोन निकाल कर खाने वाले जिला सहकारी बैंक प्रबंधक व डभरा शाखा प्रबंधक के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे नाराज धुरकोट के किसानों ने कचहरी चौक पर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है। किसानों ने जिला सहकारी बैंक के प्रभारी प्रबंधक व डभरा शाखा प्रबंधक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
धरने पर बैठे किसानों ने बताया कि उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल की सूचना 2 जनवरी को दी थी, लेकिन इसके बावजूद संबंधित अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे में उन्होंने 15 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है। उन्होंने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में सहकारी समिति धुरकोट 2422 के प्रभारी प्रबंधक गिरीवर प्रसाद निराला ने को-ऑपरेटिव बैंक डभरा से मिलीभगत कर 12 किसानों के फर्जी केसीसी लोन निकलवाया है।
किसान किताब पर लोन लेने का रिकार्ड दर्ज है। किसान 2020-21 में जब अपना धान बेचने के लिए टोकन लेने पहुंचे, तब उन्हें इसकी की जानकारी हुई। उन्होंने दस्तावेज आदि निकलवाने पर पता चला कि क्षेत्र के 12 किसानों के नाम पर करीब 25 लाख रुपए लोन निकाला गया है।
जानिए कोमो गांव के किस किसान के नाम से कितनी राशि ली लोन में
सौकीलाल पिता श्याम कुमार – 1 लाख 83 हजार रु.
जगन्नाथ पिता भरखन- 3 लाख 36 हजार
हेमंत कुमार पिता बसंत कुमार-2 लाख 37 हजार रुपए
बसंत कुमार पिता चक्रधर सिंह – 55 हजार रुपए
केशव पिता बुदधु राम -2 लाख 50 हजार
लक्ष्मण पिता रामनाथ- 55 हजार रुपए
उत्तम पिता अवध राम- 2 लाख 32 हजार रुपए
अशोक पिता कुंदुल- 2 लाख 17 हजार रु
सुंदर कुमार पिता फूलचंद – 2 लाख 50 हजार रुपए
कृष्ण कुमार पिता तिलो -1 लाख 90 हजार
किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं
दिल्ली से लेकर रायपुर तक मंत्री और नेताओं के बड़े-बड़े बयान, पर तीन दिन से हड़ताल पर बैठे किसानों की सुध लेने की फुर्सत किसी को नहीं है। आर्थिक धोखाधड़ी के बाद भी भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है। किसानों की सालभर की मेहनत अफसर फर्जी तरीके से हड़प रहे हैं। संदीप तिवारी, अध्यक्ष कृषक चेतना मंच
किसान चाहे तो करा सकते हैं एफआईआर
इसमें मेरा व्यक्तिगत या फिर शासन का नुकसान नहीं है, इसलिए हम एफआईआर दर्ज कराने के लिए अधिकृत नहीं है, लेकिन किसान चाहे तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ एफआईआर करा सकते हैं। मामले में मेरे आने के बाद ही जांच शुरू हुई है, दोष सिद्ध होने के बाद संबंधित प्रबंधक के खिलाफ बोर्ड ने निलंबन की कार्रवाई की है।
शेखर जायसवाल,डीआरसीएस जांजगीर
साभार: दैनिक भास्कर