केंद्र की नीतियों के विरुद्ध कर्मचारी संगठनों का धरना

बिलों को किसान व मजदूर विरोधी बताते हुए रद्द करने की मांग

जांजगीर. भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) द्वारा गुरुवार को जिला मुख्यालय के कचहरी चौक में धरना प्रदर्शन किया गया। इंटक पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार के श्रम कानून, ट्रेड यूनियन और हाल ही में पारित किसानों से संबंधित बिल को काला कानून बताते हुए इन सभी बिलों को रद्द करने की मांग की। छग इंटक प्रदेशाध्यक्ष दीपक दुबे ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पास किए श्रम कानून, ट्रेड यूनियन कानून एवं किसान बिल जो श्रमिक किसान एवं मजदूर यूनियन के अहित में है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष डॉ.चौलेश्वर चंद्राकर ने कहा कि लोकसभा में श्रम कानून संबंधी तीन विधेयक पास किया ये तीनों बिल प्रवासी और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की परिभाषा को बदल सकते हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेताओं के विरोध बावजूद सरकार ने देश में श्रम कानून से जुड़े तीन महत्वपूर्ण बिल पास कराए। असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए काम करने वालो के लिए यह मजदूर-विरोधी है। शिशिर द्विवेदी ने कहा कि देश में आजादी से पहले के कानूनों को बदला जा रहा है और इन श्रम कानूनों को बदलकर श्रम संहिताओं में लाया जा रहा है। जिसमें देश में मजदूरों की स्थिति और ज्यादा दयनीय हो जाएगी। देवेश कुमार सिंह के कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने मजदूरों के विरोध करने के अधिकार को भी खत्म कर दिया है यूनियन बनाने और हड़ताल करने के अधिकार पर भी भारी भरकम जुर्माना लगाने और जेल भेजने तक के प्रावधान कर दिए हैं। कमल साव, दिलेश्वर साहू, महिला इंटक प्रदेशाध्यक्ष सुनीता दुबे ने भी संबोधित किया। आभार इंटक जिलाध्यक्ष मारुति उपाध्याय, संजय रत्नाकर ने किया। धरना में बजरंग शर्मा, फडीन्द्र सिंह, मोहन दास महंत, ललित चौबे, ठकेस्वर गभेल, मोरध्वज वैष्णव, तरुण कौशिक, खिलेश्वर कौशिक, संपत चंद्रा, फुलेश्वर चंद्रा, किशोर चन्द्र, रमेश साहू, नवधा लहरे आदि उपस्थित थे।
साभार: दैनिक भास्कर

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