छत्तीसगढ़ की सब्जियां यूपी, बिहार और महाराष्ट्र भेजी जा रहीं इसीलिए ठंड में भी टमाटर 30 और आलू-प्याज 50-60 रुपए

ऐसा पहली बार हुआ है कि दिसंबर में लोकल सब्जियां इतनी महंगी बिक रहीं
रायपुर. कोरोना और बारिश की वजह से उत्तर भारत के कुछ राज्य और महाराष्ट्र तथा विदर्भ के व्यापारी छत्तीसगढ़ से सब्जियां मंगवा रहे हैं। इसलिए ठंड के सीजन में सस्ती सब्जियों के लिए प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ में सब्जियां महंगी बिक रही हैं। 12 से 15 रुपए किलो में बिकने वाला टमाटर भी फिलहाल 30 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। चिल्हर मार्केट में आलूृ-प्याज 50 से 60 रुपए प्रतिकिलो बेचा जा रहा है। कारोबारियों के अनुसार ऐसा पहली बार हो रहा जब सीजन के पीक समय में छत्तीसगढ़ में लगभग सभी सब्जियां महंगी बिक रही है। छानबीन से पता चला है कि रायपुर के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र आदि राज्यों में इस समय सब्जियां खासी महंगी बिक रही है। वहां मांग ज्यादा है, इसलिए वहां के व्यापारी सीधे छत्तीसगढ़ के किसानों से संपर्क कर रहे हैं। वे अपने राज्यों में बैठे-बैठे यहां के किसानों से संपर्क कर उनके ‌खाते में पैसे जमा कर माल की बुकिंग कर रहे हैं। किसान ट्रकों में सब्जियां भिजवा रहे हैं। वहां के व्यापारी भाड़ा देकर माल की डिलीवरी लेते हैं, इसलिए न तो यहां के किसानों को अपना माल बेचने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है और न ही वहां के व्यापारियों को छत्तीसगढ़ आना पड़ रहा है। सब काम फोन पर हो रहा है। लोकल से थोड़ी ज्यादा कीमत मिलने पर यहां के किसान सीधे खेतों से ही माल बाहर भिजवा दे रहे हैं। यहां शार्टेज होने के कारण ही लोकल थोक बाजार में टमाटर 20 से 22 रुपए किलो चल रहा है। चिल्हर वाले उसे अपने हिसाब से 25 से 30 रुपए में बेच रहे हैं। मटर भी थोक में 25 से 30 और चिल्हर में 40 से 50 रुपए किलो है। छत्तीसगढ़ की सबसे खास और लोकल सब्जी मुगना भी थोक में 40 से 50 और चिल्हर में 80 से 100 रुपए किलो में बिक रहा है। प्याज चिल्हर में 50 से 60 और आलू 50 रुपए किलो है। ठंड के दिनों में हलवा और विभिन्न तरह की चीजों में इस्तेमाल होने वाला गाजर भी चिल्हर में 40 से 50 रुपए है। लगभग सभी सब्जियों की कीमत इस समय ज्यादा है। ऐसा पहली बार हुआ है कि दिसंबर में लोकल सब्जियां इतनी महंगी बिक रही हैं।
मेट्रो में सब्जियों की डिमांड ज्यादा
कई महानगरों में अब छत्तीसगढ़ की सब्जियां काफी पसंद की जा रही हैं। खासकर यहां पैदा होने वाला शिमला मिर्च एक्सपोर्ट क्वालिटी का है। इसलिए दूसरे प्रदेश के व्यापारी ज्यादा से ज्यादा शिमला मिर्च मंगवा रहे हैं। वे अपने राज्यों से मंगवाकर उसे विदेशों तक एक्सपोर्ट कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में लाल, पीला तथा काले रंग के भी शिमला मिर्च की पैदावार हो रही है।
“लोकल पैदावार के बावजूद छत्तीसगढ़ में सब्जियों की शार्टेज है। किसान बाहर सब्जियां भेज रहे हैं। कुछ समय पहले सब्जियां सस्ती हुई थीं, लेकिन अब फिर से महंगी हैं।”
-टी. श्रीनिवास रेड्डी, अध्यक्ष श्रीराम थोक सब्जी मंडी डूमरतराई
साभार: दैनिक भास्कर

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