जंगलों में नक्सली बैठकें
कांकेर. जिले के अंदरूनी नक्सल संवेदनशील इलाकों में सप्ताह भर से नक्सली लगातार ग्रामीणों की बैठकें ले रहे हैं। बैठकों में बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों को बुलाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार बैठकों में बड़े नक्सली नेता ग्रामीणों को सामने आकर उन्हें जल, जंगल जमीन का हवाला देकर लड़ाई के लिए तैयार करते इलाके में खोले जा रहे कैंपों के विरोध करने कह रहे हैं। जिले में जिस स्तर पर बड़े नक्सली नेता जुटे हैं उससे आशंका है वे किसी बड़ी वारदात की तैयारी में हैं क्योंकि ये नक्सली नेता आपस में भी मीटिंग कर रहे हैं। 8 फरवरी शाम किसकोड़ो कमेटी प्रभारी सरिता, किसकोड़ो एलओएस कमांडर लखमू, अंतागढ़ एलओएस कमांडर मानू दुग्गा ने साथियों के साथ आमाबेडा़ के अर्रा का दौरा किया। पूरी रात यहां रूके और 9 फरवरी को नक्सली सरिता ने मीटिंग बुलाई। इसमें आसपास के अर्रा, अलानार, कोरनहुर, तमोरा, दर्रोखलारी, उपरकामता समेत 40 गांव के ग्रामीण पहुंचे थे। इसी तरह मातला अ, आलपरस व सितरम में भी बैठकें ली गई। 11 फरवरी को आमाबेड़ा थाना के मंडानार जंगल में किसकोड़ो एलओएस कमांडर लखमू व उसके 15 से अधिक हथियार बंद नक्सलियों ने बैठक की। 13 फरवरी को कोयलीबेड़ा थाना के चिलपरस जंगल में रावघाट एरिया कमेटी सचिव राजू सलाम, प्रभारी रावघाट एरिया कमेटी की राजे कांगे ने बैठक की।
पुलिस को गुमराह करने दूसरी ओर फेंका पर्चा
जिस ओर जंगलों में नक्सली बैठकें ले रहे हैं उसके विपरीत दिशा में बैनर पोस्ट बांध व पर्चे फेंक पुलिस को गुमराह करने कोशिश कर रहे हैं। 13 फरवरी को नक्सलियों ने चिलपरस में बैठक ली जबकि पर्चे इसके विपरीत सांवलीबरस में फेंका। इसी तरह आमाबेड़ा बाजार में व अन्य जगह भी बैठक के पहले बैनर पोस्टर किसकोड़ो कमेटी ने लगाया था।
फरवरी में नक्सलियों का टीसीओसी शुरू हुआ
सूत्रों के अनुसार पतझड़ शुरू होने के साथ 1 फरवरी से नक्सलियों का टेक्टिस काउंटर अफेंसिल कैपिंग भी शुरू हुआ है। पतझड़ के दौरान फोर्स का मूवमेंट जंगलों में कम होता है जिसके चलते नक्सली इस दौरान ज्यादा सक्रिय होकर कैपिंग में भाग ले रहे हैं।
कोई कैंप प्रस्तावित नहीं
एएसपी जीएन बघेल ने कहा नक्सलियों पर पूरी नजर है। हालात पहले से बेहतर तथा कंट्रोल में है। अभी कोई कैंप कहीं भी प्रस्तावित नहीं है। नक्सली लोगों को भ्रमित कर रहे हैं।
साभार: दैनिक भास्कर