नई सड़क बनाना छोड़ दो साल में एक ही सड़क के पेच वर्क पर खर्च किए दो करोड़

रायगढ़.

  • अफसर कहते हैं, फंड मिल जाता है इसलिए तात्कालिक राहत के लिए कराते हैं पेच वर्क

उर्दना से पूंजीपथरा के बीच सड़क के पेचवर्क के लिए दो साल में पीडब्ल्यूडी ने दो करोड़ खर्च कर दिए लेकिन सड़क की हालत फिर बिगड़ गई है। पहले विभाग ने 81 लाख रुपए का वर्क ऑर्डर जारी किया था। इसके बाद दोबारा सड़क के लिए एक करोड़ का टेंडर कर दिया। सड़क में 3 किलोमीटर के पेच में 60 से अधिक गड्‌ढे हैं। 70% से ज्यादा भुगतान भी हो चुका है। पीडब्ल्यूडी ने उर्दना से पूंजीपथरा के बीच जर्जर सड़क की मरम्मत (पेच वर्क) के लिए अक्टूबर 2019 में एक करोड़ 10 लाख रुपए का टेंडर जारी किया। एग्रीमेंट 81 लाख 64 हजार रुपए पर फाइनल हुआ और वर्क ऑर्डर जारी किया गया। वर्क ऑर्डर के अनुसार सड़क के पेच वर्क को छह माह में पूरा करना था। ठेकेदार जो एग्रीमेंट करते हैं उसमें सड़क के एक साल तक ठीक होने का भरोसा यानि परफार्मेंस गारंटी दी जाती है। सड़क का पेच वर्क पहले छह महीने तक पूरा नहीं हुआ। जिन हिस्सों में पेच वर्क हुआ वहां एक महीने बाद ही सड़क उखड़ना शुरू हो गई। दोबारा सड़क की मरम्मत के नाम पर लगभग एक करोड़ रुपए का वर्क ऑर्डर जारी किया गया। ठेकेदार ने 8 किलोमीटर काम भी कर दिया। लेकिन सड़क आज भी उसी स्थिति में है जैसी दो साल पहले थी। सड़क दोबारा उखड़नी शुरू हो गई हैं।

गुणवत्ता की चिंता नहीं, बिना जांच के होता है भुगतान
सड़क दो बार बनाई गई। लगभग दो करोड़ खर्च किए गए। इस क्षेत्र की मॉनिटरिंग करने वाले सब इंजीनियर प्रधान से लेकर सुपरविजन ऑफिसर सभी ने टेबल पर बैठ कर मान लिया कि सड़क ठीक बनी है। किसी ने भी मौक़े पर जाकर सड़क का निरीक्षण नहीं किया। विडंबना यह है कि अफसर यह भी कहते हैं कि उन्हें मालूम है कि उर्दना से पूंजीपथरा तक सड़क पेच वर्क से ठीक नहीं होगी। इसे नए सिरे से बनाना होगा लेकिन किरकिरी से बचने के लिए पेच वर्क कराते हैं, इसके लिए सरकार से बजट भी मिल जाता है।

अफसर बोले: उर्दना तिराहे पर नहीं करेंगे काम
उर्दना तिराहे का हिस्सा सबसे ज्यादा जर्जर हैं। यहां पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। इस हिस्से को बनाने से पीडब्ल्यूडी ने मना कर दिया। दरअसल यहां हर दस मिनट में 5 से ज्यादा भारी वाहन गुजर रहे हैं। इसलिए इस हिस्से में काम कर पाना संभव नहीं है। पीडब्ल्यूडी के अनुसार उसने कई बार इस जगह पर काम किया। लेकिन कुछ ही दिनों में यह सड़क दोबारा उधड़ गई। इसके बाद पीडब्लयूडी ने परेशान होकर अपने अफसरों को पत्र लिखकर इस हिस्से में काम करने से मना कर दिया।

2013 से जर्जर सड़क नहीं बना रहे नए सिरे से
यह सड़क 2013 तक जिंदल के पास थी। वह बीओटी के तहत सड़क का मेंटनेंस करता था। बीओटी खत्म होने के बाद सड़क का मेंटनेंस पीडब्ल्यूडी के पास आ गया। हर साल लाखों रुपए फूंके गए। लेकिन सड़क कुछ ही दिनों में फिर से उखड़ जाती है। सड़क के मेंटनेंस के नाम पर लाखों रुपए फूंके तो जाते हैं लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होता। भारी वाहनों के कारण सड़कें जल्दी दब जाती है। गाड़ियों के भार के अनुसार जब तक ड्राइंग डिजाइन तैयार कर सड़क तैयार नहीं की जाती। यह समस्या बनी रहेगी।
वाहनों का दबाव ज्यादा
“सड़क में भारी वाहनों का इतना दबाव होता है कि सड़कें टिक नहीं पाती। उर्दना तिराहे के काम को इसलिए छोड़ दिया गया। हर मिनट में गाड़ियां आ रही है। ऐसे में काम पूरा नहीं हो सकता।”
-आर के खामरा, ईई, पीडब्ल्यूडी

साभार : दैनिक भास्कर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button