5 साल की दिव्यांग को पिता ने प्लेटफार्म पर छोड़ा, बोला: ट्रेन आए तो पटरी पर सो जाना
पुलिस की सुरक्षा में दिव्यांग।
अकलतरा. हे मेरे कुपिता और कुमाता। मुझे आप लोगों ने पैदा किया तो खुशी हुई आपको। मैं लड़की थी न। मैं धीरे-धीरे बढ़ती गई, लेकिन भगवान ने मुझे मेरे पैरों के सहारे चलने के लिए लायक नहीं बनाया। पोलियाे ने मुझे दिव्यांग बनाया। मैं दिव्यांग हूं, किंतु हूं तो आपका ही अंग। लेकिन इस ठंड में आपने मुझे बिलासपुर से लाकर अकलतरा रेलवे स्टेशन में छोड़ दिया। मुझे जीवन और मौत की परिभाषा भी नहीं मालूम, लेकिन आपने बड़ी आसानी से कह दिया, जब ट्रेन आए तो पटरी पर सो जाना। आप चले गए, मैं रोती रही। शुक्र उन देव दूतों का जिसने मुझे बचा लिया। पापा आप जहां भी रहें खुश रहें। एक बेरहम पिता ने पोलियोग्रस्त 5 साल की बेटी को मरने के लिए छोड़ दिया। बुधवार को मासूम को पिता ट्रेन से बिलासपुर से अकलतरा लेकर आया और स्टेशन में छोड़ते हुए कहा कि ट्रेन आए तो पटरी पर सो जाना। पोलियोग्रस्त मासूम चलने में पूरी तरह असमर्थ थी, प्लेटफार्म पर उसकी बेबसी पर कुछ लोगों की नजर पड़ी तो उसका रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित बाल संरक्षण गृह तक पहुंचाया। मासूम ने अपना निवास बिलासपुर बताया है, तो जिले के अधिकारी अब वहां के अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं।
पाल नहीं सकते हैं तो बाल सरंक्षण इकाई में छोड़ दें
सरकार ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जिला बाल संरक्षण इकाई का गठन किया है। जांजगीर-चांपा जिला के बाल सरंक्षण अधिकारी गजेंद्र जायसवाल ने बताया कि ऐसे पालक जो किसी भी कारण से अपने बच्चों का लालन-पालन करने में असमर्थ हैं और वे अपने बच्चों को इस तरह लावारिस अथवा मरने के लिए न छोड़ें बल्कि महिला एवं बाल विकास विभाग या बाल संरक्षण इकाई में छोड़ सकते हैं। समिति उनके रहने से लेकर शिक्षा तक सारी व्यवस्था करती है। उन्हें प्रशिक्षण देकर आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का प्रयास करती है।
आरपीएफ की सूचना पर पहुंची चाइल्ड लाइन टीम
नगर के रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ के जवान को पांच साल की दिव्यांग बच्ची मिली तो उसने चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर काॅल कर सूचना दी। हेल्प एंड हेल्पस समिति द्वारा संचालित चाइल्ड लाइन जांजगीर टीम के सदस्यों ने पूछताछ की तो बच्ची ने बताया कि उसके पिता उसे रेलवे स्टेशन में छोड़कर चले गए हैं। पिता उसे बिलासपुर से लाए थे। बच्ची को जिला के बाल कल्याण समिति के सदस्यों के सामने पेश किया किया गया। समिति के आदेश पर उसे टीम के संरक्षण में मातृ छाया जिला कोरबा ले जाया गया। उपरोक्त कार्यों में चाइल्ड लाइन 1098 के डायरेक्टर शिवशंकर साहू, समन्वयक निर्भय सिंह,श्रीमती अन्नपूर्णां साव, टीम मेम्बर जोहित कश्यप, नरेन्द्र चन्द्रा, रविकांत साहू भूपेश कश्यप, प्रभा गढेवाल, कमलेश साव, गोवर्धन कश्यप व आरपीएफ जवान पुरुषोत्तम शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
बच्चे को रख नहीं सकते हैं तो परवरिश के लिए हमें सौंप दें
“पोलियो से पीड़ित पांच साल की मासूम अकलतरा रेलवे स्टेशन में थी। उसने बताया कि उसके पिता उसे छोड़कर गए हैं और जाते समय बोले थे कि ट्रेन आए तो पटरी पर सो जाना। सरकार ने व्यवस्था बनाई है कि कोई अपने बच्चे को रखने में असमर्थ है तो वह बाल संरक्षण इकाई में छोड़ दे।”
-गजेंद्र जायसवाल, जिला बाल संरक्षण अधिकारी