नहर की जमीन बीजेपी ऑफिस के लिए दी, तहसीलदार ने दिया स्थगन आदेश
जशपुर.बगीचा में बीजेपी गुपचुप तरीके से उस जमीन की तलाश कर रही है, जिसे वह अपने 15 साल के कार्यकाल में हासिल नहीं कर सकी। मामला तब सामने आया जब तहसील कार्यालय बगीचा में बीजेपी के मंडल अध्यक्ष ने बीजेपी कार्यालय के लिए तथाकथित आबंटित जमीन के सीमांकन व नक्शा दुरूस्तीकरण का आवेदन दिया और बिना मूल दस्तावेज के प्रकरण दर्ज कर इश्तेहार प्रकाशन व नक्शा दुरूस्तीकरण प्रस्ताव के लिए पटवारी को विज्ञापन निकालने आदेश किया गया। जब मामले में आपत्ति आई तो नायब तहसीलदार ने तत्काल स्थगन आदेश जारी करते हुए मामला यथावत रखने का निर्देश दिया और जमीन के मूल दस्तावेज मांगे। नगर पंचायत बगीचा के शासकीय भूमि खसरा नंबर 179 रकबा 0.081 हेक्टेयर में से 0.040 हेक्टेयर भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय के लिए 7 फरवरी 2009 को हस्तांतरण कर नामांतरण हुआ है। हांलाकि आबंटन संबंधी कागजात बीजेपी द्वारा पेश नहीं किया गया है। प्रकरण की मूलप्रति कहां हैं यह किसी को पता नहीं। अब 11 साल के बाद अपने जमीन की तलाश कर रही बीजेपी के पास मूल प्रकरण का पता नहीं है। मामले में नायब तहसीलदार उदय राज सिंह ने बताया कि 14 दिसंबर को दावा-आपत्ति का अंतिम दिन था, जिसमें आपत्ति आने के बाद उक्त जमीन के दुरूस्तीकरण व सीमांकन की प्रक्रिया पर स्थगन आदेश दिया है। प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत ने बगीचा में बीजेपी कार्यालय के लिए आबंटित जमीन पर कहा कि नहर की जमीन आबंटित नहीं की जा सकती। कलेक्टर को निर्देशित किया गया है वे मामले की जांच कर रिपोर्ट देंगे।
नियम: पानी के नीचे की भूमि का आबंटन नहीं
जिस जमीन पर बीजेपी कार्यालय के लिए जमीन आबंटन की बात कही जा रही है, उस पर नहर है। राजस्व नियमों के अनुसार पानी के नीचे की भूमि का आबंटन नहीं किया जा सकता। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब जमीन आबंटन की प्रक्रिया की, तब मौका जांच पंचनामा में इसका उल्लेख क्यों नहीं किया गया।
साभार: दैनिक भास्कर