किडनैपिंग के बाद सुबह रेकी करने पहुंचा आरोपी तो पुलिस ने पीछा किया, 12 घंटे बाद जंगल के गड्ढे में मिला बच्चा

10 लाख रु. में खेत बेचकर पिता खरीदने वाला था स्कार्पियो, बदमाशों को पता चला तो बच्चे का अपहरणकर मांगे 5 लाख
रायगढ़. रैरूमाखुर्द चौकी क्षेत्र से किडनैप हुए 12 साल के बच्चे को पुलिस ने 12 घंटे के भीतर ही खोजकर परिजन को सौंप दिया है। सोमवार की शाम गेहूं पिसाने गए 12 साल के नाबालिग बच्चे को आरोपियों ने किडनैप कर लिया था। पुलिस ने कॉल लोकेशन ट्रैसकर आरोपियों की खोजबीन शुरू की। एक आरोपी जंगल से रेकी करने गांव की ओर आया तो पुलिस को उस पर शक हुआ। इसके बाद पुलिस की टीम ने उसका पीछाकर जंगल में घेराबंदीकर बच्चे को बचा लिया। मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गुरुवार शाम एसपी संतोष सिंह ने मामले का खुलासा किया। रैरूमाखुर्द चौकी क्षेत्र अंतर्गत बरहामुड़ा गांव निवासी संजीव बड़ा ने बेटे राहुल बड़ा के गुरुवार की शाम 6 बजे किडनैप करने की सूचना पुलिस को रात 8.30 बजे दी थी। दरअसल नाबालिग घर से गेहूं पिसाने के लिए शाम को हालर गया था। इसी बीच तीन नाकाबपोशों ने उसे किडनैप कर लिया। आरोपियों ने नाबालिग की मां को फोनकर 5 लाख रुपए की फिरौती मांगी। पुलिस को जैसे ही सूचना मिली। एसपी ने अपहरणकर्ताओं का पता लगाने के लिए टीम को मौके पर रवाना कर दिया। मौके पर रात भर गांव में पूछताछ चलती रही। कॉल डिटेल से पता चला कि आरोपियों का लोकेशन बरहामुड़ा के पास जंगल में नजर आया। इसपर पुलिस लगातार क्षेत्र में डटी रही। इसी बीच दूसरे दिन सुबह कुछ संदेही विकास तिर्की, अरुण साव और रामरामेश्वर मांझी को जंगल के आसपास देखे जाने की सूचना मिली। दरअसल आरोपी सुबह गांव का माहौल देखने के लिए जंगल से बाहर निकले थे। इसी दौरान वे संदेह में आ गए और पुलिस की टीम उनका पीछा करते हुए बच्चे तक पहुंच गई। बच्चों सकुशल मिले इसलिए पुलिसवालों ने गन प्वाइंट पर तीनों आरोपियेां को रखा। पुलिस की तनी बंदूकें देखकर आरोपी घबराकर वहीं खड़े हो गए। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों से बच्चे को छुड़ा लिया। बच्चे को सुबह दूसरे दिन सही सलामत परिजनों को सौंप दिया गया। आरोपियों से 3 मोबाइल, 3 चाकू, एक बाइक और बच्चे की साइकिल मिली है। आरोपियों पर दर्ज अपराध 364(ए) में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
बच्चे ने मोबाइल कवर से एक को पहचान लिया था
किडनैपिंग के दौरान बच्चे ने विकास तिर्की को उसका मोबाइल कवर देखकर पहचान लिया था। पहचान उजागर होने के डर से आरोपी बच्चे को बार-बार मारने की बार-बार धमकी दे रहा था। पुलिस ने बंदूक दिखाकर आरोपियों को धमकाया तो ही बच्चे की सकुशल वापसी हो पाई। सही समय पर पुलिस नहीं पहुंचती तो आरोपी बच्चे को नुकसान भी पहुंचा सकते थे।
स्कार्पियो खरीदने की तैयारी में था पिता
नाबालिग के पिता ने कुछ दिन पहले ही पुस्तैनी जमीन बेची थी। वह नई स्कार्पियो खरीदने की तैयारी में था। आरोपी पड़ोसी गांव बरपाली के रहने वाले हैं। वह बरपाली में भी जाकर बार-बार स्कार्पियो खरीदने की चर्चा करते सुना तो आरोपी विकास तिर्की ने साथियों के साथ मिलकर उससे फिरौती वसूलने का प्लान बनाया।
गृह मंत्री ने दी बधाई, डीजीपी देंगे 1 लाख रुपए ईनाम
आरोपियों ने बच्चे को जंगल के भीतर गड्ढे में डालकर रखा था। नाबालिग रात भर ठंड में ठिठुरता रहा। उसे भोजन भी नहीं दिया गया। बच्चा जब रेस्क्यू करके बाहर आया तो उसने सबसे पहले पुलिस से खाना ही मांगा। उसके बाद उसके लिए भोजन की व्यवस्था की गई। नाबालिग को सकुल बरामदगी पर गृह मंत्री ने ट्वीटकर बधाई दी वहीं डीजीपी ने टीम को 1 लाख रुपए ईनाम देने की घोषणा की। आईजी दीपांशु काबरा ने रेस्क्यू टीम का हिस्सा रहे अफसर /कर्मचारियों को नकद 30 हजार रुपए इनाम देने की घोषणा की है। टीम में एसपी अभिषेक वर्मा, सहायक पुलिस अधीक्षक पुष्कर शर्मा, एसडीओपी सुशील नायक, चौकी प्रभारी जूटमिल अमित शुक्ला, थाना प्रभारी घरघोड़ा अमित सिंह, टीआई धरमजयगढ़ अंजना केरकेट्टा और सायबर सेल टीम का सपोर्ट था।
पैसे की कमी से जूझ रहा था इसलिए किया अपहरण
मामले का मास्टर माइंड विकास तिर्की है। वह लॉकडाउन के पहले ओडिशा के कुछ जगहों पर खंभे लगाने का काम करता था। लॉकडाउन में काम बंद हुआ तो गांव लौट आया था। उसे आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। नाबालिग के पिता को स्कार्पियों खरीदने की बात करने सुना तो दोस्त अरुण और रामेश्वर के साथ मिलकर अपहरण करने की प्लानिंग बनाई।
साभार: दैनिक भास्कर