जूट मिल की मशीनें कबाड़, चलाने के लायक नहीं
83 लाख की संपत्ति, आईटीआई ने 62 लाख रुपए बताई मशीन की कीमत
रायगढ़. एक तरफ कोर्ट के आदेश पर जूट मिल संचालक से मजदूरों का बकाया और दूसरे राजस्व की वसूली की तैयारी चल रही है। वहीं मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद बारदाने की कमी दूर करने प्रशासन जूट मिल फिर शुरू कराने की भी कोशिश कर रहा है। तहसीलदार ने पीडब्ल्यूडी, राजस्व और आईटीआई कॉलेज के प्रोफेसरों की अलग-अलग टीम से जूट मिल की संपत्ति और मशीनों पर रिपोर्ट मांगी थी। संपत्ति 83 लाख की बताई गई है लेकिन मशीनें चलने के लायक नहीं बताई गई हैं। पीडब्ल्यूडी, विद्युत मंडल और आईटीआई के इंजीनियरों ने जो रिपोर्ट दी है उसमें बताया गया है कि मशीनें कबाड़ हो चुकी हैं। इनकी अनुमानित लागत 62 लाख 9 हजार रुपए है। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी ने भी रिपोर्ट दी है उसमें बिल्डिंग की स्थिति खराब बताई है, उस बिल्डिंग की कीमत 83 लाख रुपए बताई गई है। बिल्डिंग 1986 में बनाई गई थी। अब राजस्व विभाग के आरआई और पटवारियों को नए सिरे सर्वे करने के लिए कहा गया है।
उद्योग विभाग ने जूट मिल प्रबंधन से बातचीत की
मुख्यमंत्री ने सारंगढ़ प्रवास के दौरान बारदाने की कमी को देखते हुए जूट मिल शुरू कराने की बात कही थी। इसके बाद उद्योग विभाग ने जूट मिल के मालिक पवन अग्रवाल से बातचीत की थी। अग्रवाल ने बैंक को फायनेंस की राशि नहीं दिए जाने के बाद नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल से केस चलने की बात कही है। मामला निपटने पर ही जूट मिल शुरू की जा सकेगी। उद्योग विभाग के मुख्य महाप्रबंधक केएल उईके ने बताया कि बैंक को प्रबंधन से बड़ी राशि लेनी है। एनसीएलटी के फैसले के अनुसार आगे कुछ कार्रवाई इसमें हो सकेगी।
नीलामी होगी या नहीं कलेक्टर करेंगे फैसला
“मिल में काम करने वाले मजदूरों को सैलरी दी जानी है। इसमें 64 लाख रुपए की वसूली होनी है। इसे कुर्की के साथ ही नीलाम किया जाना है। जूट मिल प्रबंधन जवाब देने के लिए कहा गया था, लेकिन प्रबंधन की ओर से किसी ने पक्ष नहीं रखा है। अंतिम फैसला कलेक्टर साहब को लेना है। इसमें अभी बिल्डिंग और मशीनों आकलन की रिपोर्ट आ गई है।”
-सीमा पात्रे, तहसीलदार
साभार: दैनिक भास्कर