पड़िगांव और गौरबरही बनीं कुपोषण मुक्त पंचायत
कलेक्टर भीम सिंह की पहल को जनप्रतिनिधियों व ग्रामवासियों ने बनाया अपना मिशन, मिली सफलता
रायगढ़. कुपोषण मुक्ति के लिए सामूहिक सहभागिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कलेक्टर भीम सिंह की पहल पर कुपोषण मुक्त पंचायत अभियान की शुरुआत जिले में की गई है। कुपोषण एक ऐसी समस्या है जिसे दूर करने में सही खान-पान के साथ उचित जीवन शैली को अपनाना बेहद जरूरी है। अभियान के मूल में ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण की गंभीरता और इससे ग्रसित बच्चों के पूरे जीवन पर पडऩे वाले कुप्रभावों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। गांवों में जनप्रतिनिधियों के साथ ग्रामवासियों ने कलेक्टर की इस पहल को अपना मिशन बनाते हुए बच्चों को कुपोषण के कुचक्र से बाहर निकालने की ठानी है। जिसके सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। दिसंबर 2020 में पड़िगांव और गौरबरही कुपाेषण मुक्त ग्राम पंचायत की श्रेणी में शामिल हो गया है। तमनार विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पड़िगांव आज सरपंच भगत राम राठिया एवं वहां संचालित 17 स्व-सहायता समूह एवं ग्रामवासियों के सहयोग से कुपोषण मुक्त हो चुका है। अक्टूबर 2020 में जहां पंचायत के सभी आंगनबाड़ियों में 0 से 5 वर्ष के 100 बच्चे थे जिसमें 6 मध्यम कुपोषित बच्चे थे। सभी के प्रयास से दिसंबर 2020 की स्थिति में सभी कुपोषित बच्चे सामान्य स्थिति में आ गए हैं। इस कार्य के लिए कलेक्टर सिंह के मार्गदर्शन में सर्वप्रथम पर्यवेक्षक द्वारा सरपंच, सचिव, समूह, मितानिन सभी का बैठक आयोजन किया गया। जिसमें सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने की रणनीति बनाई गई। कुछ लोगों ने आर्थिक सहयोग दिया, जबकि कुछ ने दुध, अंडा, गुड़, उबला चना, केला, पपीता जैसे पोषण आहार दिए। सरपंच द्वारा कुपोषित बच्चों के लिए दूध और केला की व्यवस्था की गई। प्रत्येक सप्ताह बच्चों का वजन लिया गया जिसमें पाया गया कि धीरे-धीरे वजन में बढ़ोत्तरी होने लगी है। दिसंबर 2020 के अंतिम सप्ताह में वजन लेने पर सभी 6 मध्यम कुपोषित बच्चे सामान्य स्थिति में आ चुके थे। जिससे ग्राम पंचायत पड़िगांव कुपोषण मुक्त ग्राम पंचायत की श्रेणी में आ गया। इसी प्रकार तमनार विकासखंड अंतर्गत गौरबरही पंचायत भी आज कुपोषण मुक्त हो चुका है। जिसमें सरपंच मिथिला सिदार, सचिव हेमसागर साव, पंच मायावती किसान एवं गौरबहरी मितानिन एवं ग्रामवासियों की भूमिका रही है। अक्टूबर 2020 में जहां पंचायत के सभी आंगनबाड़ी में 0 से 5 वर्ष के 110 बच्चे थे जिसमें 9 मध्यम कुपोषित बच्चे थे। सभी के संयुक्त प्रयास से बच्चों के खान-पान व जीवन शैली का विशेष ध्यान रखा गया। जिससे दिसंबर 2020 की स्थिति में सभी कुपोषित बच्चे सामान्य स्थिति में आ गए है। जिससे ग्राम पंचायत गौरबहरी भी कुपोषण मुक्त ग्राम पंचायत की श्रेणी में आ गया।
साभार: दैनिक भास्कर