बाघ तालाब के पास राजपरिवार ने बसाई कॉलोनी तो माफिया ने भी पाट दिया तालाब

7 लाख स्क्वायर फीट पर बने तालाब के बड़े हिस्से पर कब्जा, बाकी पर भूमाफिया की नजर
रायगढ़. प्रशासन एक तरफ बाघ तालाब के सौंदर्यीकरण की तैयारी कर रहा है। दूसरी ओर भूमाफिया लगातार तालाब किनारे की जमीन पर अतिक्रमण कर रहे हैं। तालाब के आसपास कुछ कॉलोनियां बसी हैं। जिनके सहारे तालाब की जमीन को पटाकर पूरी बस्ती बसाई जा रही है। राजपरिवार ने कुछ लोगों को अपनी मर्जी से यहां बसाया लेकिन तालाब के किनारे बड़े हिस्से पर आसपास के गुंडों ने रुपए लेकर कब्जे कराए व घर बनवा दिए। 22 एकड़ में फैला बाघ तालाब जिले के सबसे बड़े तालाबों में है। यहां चारों ओर अतिक्रमण होते जा रहा है। तालाब का लगभग 10 एकड़ का हिस्सा ही अभी सुरक्षित है जहां पानी है। यहां भी धीरे-धीरे बदमाश और माफिया कब्जा कर रहे हैं। दरअसल तालाब के कई दावेदार हैं। भास्कर की टीम बुधवार को मौके पर गई थी। यहां पर पूर्व से ही प्रेम प्रताप कॉलोनी और मोमिनपुरा नाम की दो बस्तियां हैं। दोनों जगहों को राजा चक्रधर सिंह के बेटे प्रेम प्रताप सिंह ने बसाया है। उनके अनुसार पुराने रिकार्ड में यह जमीन उनकी थी। इसलिए उन्होंने जमीन बेची और कॉलोनी बस गई। दोनों बस्तियों में लगभग 40 प्रतिशत घर ऐसे हैं जो तालाब की जमीन पर बने हुए हैं। कलेक्टर ने पिछले दिनों निगम आयुक्त और महापौर के साथ यहां निरीक्षण कर सौंदर्यीकरण की योजना बनाई।
फ्री की जमीन पर मुनाफा कमाने का देख रहे ख्वाब
भास्कर की टीम जब प्रेम प्रताप कॉलोनी के भीतर गई तो यहां तालाब किनारे मकान बने हुए दिखे। मकान तालाब को पाटकर उसी जमीन पर तैयार हुए थे। आसपास रहने वालों से बात करने पर पता चला कि लोगों ने यहां घर बनाकर छोड़ दिया है ताकि भविष्य में बतौर निवेश अच्छा रिटर्न मिले। ऐसे कई मकान और बाउंड्री वॉल हमें तालाब के भीतरी हिस्से में दिखे।
हाईकोर्ट में निगम ने नहीं रखा अपना पक्ष
तालाब की जमीन को लेकर कई लोग दावा कर रहे थे। इसी में नवागढ़ी निवासी स्वर्गीय नारायण सिंह थे। जिन्होंने हाईकोर्ट में अपनी याचिका दायर की थी। निगम प्रशासन की लापरवाही के कारण कोर्ट पक्ष रखने के लिए भी सरकार की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। इसलिए फैसला नारायण सिंह के पक्ष में चला गया।
तालाब की इस तरह से हुई खरीदी-बिक्री
आजादी के कुछ सालों बाद राजपरिवार से पड़िगांव के संवरा आदिवासी व्यक्ति को यह बेचे जाने की जानकारी मिली है। इसके बाद अस्सी के दशक के आखिर में सरदार नारायण सिंह ने इसे खरीद लिया। मछली पालन के नाम पर खरीदे गए बाघ तालाब में वोटिंग शुरू कराई गई। 22 एकड़ का तालाब सूखने के बाद यह बंजर होती गई।
तालाब की चर्चा इसलिए
मालिकाना हक का दावा-स्व नारायण सिंह, नगर निगम और राजपरिवार (कोर्ट का फैसला नारायण सिंह के पक्ष में)
तालाब का एरिया- सीट नंबर 55- प्लाट नंबर 175 (5 लाख 40 हजार 734 स्कवायर फीट)
सीट नंबर 56- प्लॉट नंबर 172(1 लाख 39 हजार 544 स्कवायर फीट)
तालाब की जमीन से लगी बस्तियां, मोमिनपुरा और प्रेम प्रताप कॉलोनी, भानू प्रताप कॉलोनी।
अतिक्रमण हटाया जाएगा
“मैं स्वयं जाऊंगी। शहर के जिन हिस्सों में अतिक्रमण हो रहा है। वहां से अतिक्रमण हटाया जाएगा। यह हमारी प्राथमिकता है।”
-सरस्वती बंजारे, नजूल अधिकारी, रायगढ़
मैने लोगों को वहां बसाया
“कॉलोनी की जमीन हमारे पूर्वजों की थी। जो कॉलोनी बसी है। वह भी हमारे नाम पर पूर्व से ही रजिस्टर्ड था। कुछ त्रुटियों के कारण अभी वह जगह खाली दिखा रही है लेकिन मैंने लोगों को बसाया है।”
-प्रेम प्रताप सिंह, सदस्य-राजपरिवार

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