रोज तालाबों की साफ-सफाई व जलकुंभी हटाने निगम ने 20 कर्मियों की बनाई टीम

पुराने तालाबों पर सफाई के नाम पर लाखों रु. खर्च होने के बाद भी तालाबों से नहीं हटी जलकुंभी
रायगढ़. नगर निगम ने शुक्रवार से शहर के तालाबों की सफाई शुरू कर दी है। निगम पहले ठेके में काम देकर तालाबों की सफाई कराता था। लेकिन इससे ना तो सफाई ढंग से हो रही थी और पैसे भी ज्यादा खर्च हो रहे थे। इसलिए निगम ने 20 लोगों की टीम गठित की है जो समर्पित होकर केवल तालाबों की सफाई करेगी। दरअसल शहर में तालाबों की सफाई अभी तक ठेका पद्धति से हो रही थी। लगभग चार महीने पहले वार्ड नंबर 36 में के तालाब में पांच लाख रुपए से ठेकेदार आशीष जायसवाल ने तालाब से जलकुंभी हटाई थी। जो चार महीने बाद दोबारा जलकुंभी से पट गई। दरअसल तालाब से जलकुंभी की सफाई की गई थी लेकिन पूरे तरीके से नहीं। किनारों पर कुछ पौधे छोड़ दिए गए थे। जो गुणनकर फिर से बढ़ गए। इसी तरह बूढी माई मंदिर के करबला तालाब के लिए भी लाखों रुपए खर्च कर सफाई कराया गया था। जिसका कोई फायदा नहीं हुआ। शिकायतों से परेशान होकर अब निगम ने अंत में खुद के मजदूरों से ही तालाबों की सफाई शुरू करा दी है। लेकिन पहले जिन जगहों पर सफाई के नाम पर लाखों खर्च हुए। इन्हें दरकिनार कर दिया गया है।
मैकेनिकल तरीकों से इसे बढ़ने से पहले ही खत्म करें
कृषि वैज्ञानिक एके सिंह के अनुसार इसे नियंत्रण करने का सबसे बेहतर उपाय मैकेनिकल तरीकों से इसे बढ़ने से पहले ही खत्म करना है। तालाब में जब भी जलकुंभी के पौधे गुणन करते हुए दिखाई दें तो उन्हें तुरंत निकाल दिया जाए तो यह फैलेगा ही नहीं। दरअसल सफाई के दौरान कुछ हिस्सों को छोड़ दिया जाता है। इसी कारण यह दोबारा बढ़ जाता है।
चारे और खाद के रूप में कर सकते हैं उपयोग
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार जलकुंभी का उपयोग चारे और खाद के रूप में भी किया जा सकता है। इससे जलकुंभी को यहां-वहां फेंकने की बजाए उसका सही उपयोग भी हो जाएगा। तालाब सूखने के बाद बचे हुए जलकुंभी को हटाकर पूरी तरह से इससे छु़टकारा पाया जा सकता है।
जैवकीय नियंत्रण विधि से भी कर सकते है नियंत्रण
जैवकीय नियंत्रण विधि में जीवों जैसे कीट, सूतकर्मी, फफूंद, मछली, घोंघे, मकड़ी आदि का उपयोग खरपतवारों को नष्ट करने में किया जाता है। यह बहुत सस्ती और कारगर विधि है। यह एक स्वचालित प्रक्रिया है और इसे एक बार करने के बाद बार-बार नहीं अपनाना पड़ता है। इस विधि में पर्यावरण एवं अन्य जीवों एवं वनस्पतियों पर कोई विपरीत प्रभाव भी नहीं पड़ता ।
दो एकड़ में फैला तालाब
तालाब लगभग दो एकड़ में फैला हुआ है। इसमें एक दिशा को छोड़ दे तो चारो तरफ जलकुंभी के पौधे फैले हुए हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार सफाई होने के बाद उनके लिए यह निस्तारी का प्रमुख स्थान हो जाता है। लेकिन कुछ दिनों बाद ही स्थिति फिर से जस की तस हो जाती है। जहां पचरी निर्माण किया गया है। यह जगह भी जलकुंभी से पटी हुई है।
4 तालाबों की हुई सफाई
निगम के अभियान में पहले दिन पतरापाली, भगवानपुर ऊपर मोहल्ला, रिया पारा तालाब और सराई भद्दर तालाब की सफाई कराई गई। इसी तर्ज पर आगे फटहामुड़ा, सहदेव पाली, छाता मुड़ा, धांगर डीपा तालाब सफाई का काम चल रहा है। निगम आयुक्त के अनुसार टीम लगातार तालाबों की सफाई में लगी रहेगी।
20 लोगों की टीम करेगी तालाब की सफाई
“हमने तालाबों की सफाई शुरू कर दी है। हमने आंकलन में पाया कि ठेके में काम काफी महंगा पड़ता है। इसलिए अब 20 लोगों की टीम केवल तालाब सफाई में लगी रहेगी।”
-आशुतोष पांडेय, आयुक्त, नगर निगम
साभार: दैनिक भास्कर

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