समितियों से वसूले 5.88 करोड़ रु., पिछले साल हुई थी 20 लाख बारदानों की हेराफेरी
बारदाने की कमी पर कांग्रेस-बीजेपी आमने सामने हैं, अफसर परेशान,लेकिन समिति में होती है धांधली
रायगढ़. पिछले साल हुई धान खरीदी में लगभग 20 लाख बारदाने की हेराफेरी के कारण मार्कफेड ने समितियों के कमीशन से तीन करोड़ 78 लाख 20 हजार रुपए काटे हैं। जिले में धान खरीदी लक्ष्य के मुकाबले लगभग 90 प्रतिशत पूरी हो चुकी है।
बारदानों की कमी के कारण कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने हैं। प्रशासन लगातार बैठकें कर रहा है ताकि किसानों को बारदाने की कमी ना हो, अगर पिछले सालों तक गड़बड़ी करने वाली समितियों पर नकेल कसी गई होती तो ये नौबत नहीं आती। धान खरीदी में अभी बारदाने को लेकर संकट स्थिति बनी हुई है, हालात ऐसे बन रहे है अधिकांश सोसाइटियों में किसानों से बारदाने खरीद कर धान लेना पड़ रहा है । मार्कफेड में पिछले वर्ष सोसाइटियों को 83 लाख 78 हजार नए जूट बारदाने दिए थे, उसमें से 19 लाख 86 हजार बारदाने समितियों ने बेच दिए या फिर रिजेक्ट बता दिया।
123 सोसाइटियों की कमीशन की राशि से 5 करोड 88 लाख 24 हजार रुपए काटे गए हैं। इतनी बड़ी मात्रा में बारदाने खराब हो जाने की जानकारी सामने आने के बाद अब सहकारिता विभाग के अफसर जांच और कार्रवाई की बात कह रहे हैं।
गड़बड़ी में अव्वल हैं सारंगढ़ की समितियां
कई वर्षों से धान खरीदी और बारदानों में गड़बड़ी को लेकर गाताडीह समिति चर्चा में रही है लेकिन इस सीजन में पहली बार कार्रवाई हुई है। इससे पहले लैलूंगा की समितियां करोड़ों की हेराफेरी के लिए कुख्यात थीं। पिछले वर्ष जिले की 123 समितियों में 19 लाख 86 हजार बोरे का हिसाब नहीं मिला। इनमें सबसे ज्यादा गाताडीह के कोसीर में 1 लाख 42 हजार, गाताडीह में 1 लाख 12 हजार और जशपुर में 1 लाख 24 हजार 282 बारदानों का हिसाब नहीं मिला। इसी तरह कनकबीरा 1 लाख 6 हजार में भी बारदाने खराब हुए।
साल्हेओना, लोधिया, उलखर, बरदुला, कोतरी जैसी सोसाइटियों में 50 हजार से ज्यादा बारदाने बर्बाद हो गए। 2019 में भी 12 लाख बारदाने खराब बताए गए थे। जानकारों के मुताबिक दरअसल खराब या शॉर्टेज बताकर बोरे बेच दिए जाते हैं। इसी से समिति से जुड़े लोग हर साल लाखों रुपए कमाते हैं।
समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में पहली बार ऐसा हुआ है जब बारदानों की हेराफेरी के कारण इतनी बड़ी राशि समितियों से काटी गई हो। नियम के अनुसार मार्कफेड जितने बारदाने देता है उसका हिसाब देना पड़ता है। इसमें गड़बड़ी पाए जाने पर इसकी वसूली होती है। बारदानों की कमी के कारण पिछले साल भी आखिरी समय पर खरीदी प्रभावित हुई थी लेकिन इस बार दिक्कत ज्यादा है। गड़बड़ी का पता अफसरों को पहले भी रहता है लेकिन उसकी अनदेखी की जाती है। इस बार एक-एक बोरे के लिए मारामारी चल रही है।
बड़ी मात्रा में बारदाने खराब, जांच की जाएगी
चबूतरों में धान रखने के लिए बोरे बिछाए जाते हैं, कोहड़ा डाला जाता है फिर भी बड़ी मात्रा में बोरे खराब बताए जाते हैं। पिछले वर्ष बारिश होने की वजह से कुछ बारदाने खराब हुए थे लेकिन डेढ़ लाख बारदाने खराब हो जाना बड़ी बात है। डिमांड के अनुसार समितियों को बारदाने उपलब्ध कराए गए होंगे। इसकी जांच कराई जाएगी।”
सुरेन्द्र गौड, सहायक पंजीयक, सहकारिता विभाग
पिछले सीजन में समितियों को दिए गए बारदानों में 19 लाख 86 हजार बारदानों का हिसाब नहीं मिला, इसके कारण 123 समितियों के कमीशन से 5 करोड़ 88 लाख रुपए एडजस्ट किए गए हैं।”
एसके गुप्ता, डीएमओ
साभार: दैनिक भास्कर