सर्वे में 12 अवैध कब्जे मिले, सालों पहले इन्हें प्रशासन ने रेलवे की जमीन पर दिया था पट्टा
चौथी लाइन में आ रहे घरों का सर्वे करने पहुंची रेलवे और प्रशासनिक अफसरों की टीम
रायगढ़. चौथी लाइन के निर्माण में बाधा बन रहे घरों का सर्वे करने के लिए राजस्व और रेलवे की संयुक्त टीम पहुंची। रेलवे ने 28 घरों को नोटिस दिया था। इनमें से 12 घर ही ऐसे हैं जो चौथी लाइन में प्रभावित हो रहे हैं। 12 घरों में 5 घरों को पूरी तरह से हटाना पड़ेगा। सर्वे के दौरान पता चला कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें जिला प्रशासन ने रेलवे की जमीन पर ही पट्टा दे दिया है। मंगलवार को नजूल विभाग के आरआई पटवारी और अफसरों की टीम चौथी लाइन में आ रहे मकानों का सर्वे करने पहुंचे। जिन 12 लोगों ने कलेक्टर से शिकायत की थी। उनके घरों की नाप-जोख की गई। 12 लोगों के पास राजीव गांधी आश्रय के तहत मिला पट्टा है। लोगों ने अपनी हक की जमीन से ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर लिया था, इसलिए विवाद हुआ। इनमें 5 घर पूरी रेलवे की जमीन पर हैं। जिन्हें पूरी तरह से हटाने की जरूरत है। इन 5 घरों में 4 घर ऐसे हैं जिनके पास अभ्यन्तर पट्टा या फिर राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत मिला पट्टा है। जिला प्रशासन द्वारा की गई पूर्व की गलती भी सामने आई। जिसमें बिना नाप-जोख किए ही पट्टे बांट दिए गए थे। जिसका खामियाजा अब रेल लाइन के किनारे बसे लोगों को भुगतना पड़ेगा।
यह है विवाद: पट्टे के बावजूद नोटिस, शिकायत
रेलवे ने 29 फरवरी को रेलवे ट्रैक किनारे बसे 28 लोगों को नोटिस देकर 15 दिनों के भीतर कब्जा हटाने के लिए कहा था। इसके बाद वार्डवासियों ने जिला प्रशासन द्वारा दिए गए पट्टे को दिखाते हुए कलेक्टर से शिकायत की थी। इसपर कलेक्टर ने नजूल अधिकारी अभिषेक गुप्ता को टीम बनाकर सर्वे कर यह निर्धारित करने के लिए कहा कि कौन किसकी जमीन पर है।
जिन्होंने आवेदन दिया उनका ही सर्वे
रेलवे ने 28 घरों को नोटिस दिया था। लेकिन सर्वे 12 घरों का ही किया गया। दरअसल 12 लोगों ने ही खुद के पास सरकार द्वारा दिए गए पट्टे होने का दावा किया था। बाकियों ने कोई दावा नहीं किया। इसलिए सर्वे केवल 12 घरों का ही किया गया। 28 घरों में 4 घरों ने पहले ही अपना कब्जा छोड़ दिया है। बाकी बचे घरों में कुछ ऐसे भी हैं जिनका अधिकतर हिस्सा बच जा रहा है।
पट्टा निरस्त कर सकता है प्रशासन
मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता केडी स्वर्णकार कहते हैं, प्रशासन चाहे तो पट्टा निरस्त भी कर सकती है। लेकिन इससे पहले उन्हें विधिवत नोटिस देने की जरूरत होगी। इसके अलावा अभ्यंतर या राजीव गांधी आश्रय के तहत दिए गए पट्टे कभी स्थायी नहीं होते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब सरकार ने बिना नाप-जोख के ही दूसरे जमीनों पर पट्टे बांट दिए हों।
प्रशासन प्रभावितों को कर सकता विस्थापित
पांच घर पूरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। इनमें से 4 के पास पट्टा है। ऐसे में जिला प्रशासन इन्हें आसपास कहीं जमीन देकर या फिर निगम के खाली पड़े आवासों में भी शिफ्ट कर सकता है। पूर्व में जिला प्रशासन ने जो भूल की थी उसे सुधारने की कोशिश जरूर की जाएगी। जिला प्रशासन पट्टे भी रद्द कर सकता है लेकिन माना जा रहा है कि पूर्व के अफसरों की भूल से पट्टा जारी किया गया होगा इसलिए इन लोगों को किसी योजना के तहत विस्थापित किया जा सकता है।
सर्वे कर चुकी है टीम, रिपोर्ट पर करेंगे कार्रवाई
“टीम सर्वे कर लौटी है। रिपोर्ट देखने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वैसे रेलवे के कुछ हिस्सों पर ही लोगों के काबिज होने की सूचना मिल रही है।”
-अभिषेक गुप्ता, नजूल अधिकारी, रायगढ़
साभार: दैनिक भास्कर