हर महीने खाद बेचकर महिलाएं कमा रही 1 लाख रु., तकनीक देखने दूसरे जिले से आ रहे अफसर

आत्मनिर्भर बनकर लोढ़ाझार गांव की महिलाएं दूसरे जिलों के लिए बनीं रोल मॉडल
रायगढ़. भूपदेवपुर क्षेत्र के लोढ़ाझर गांव की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट खाद बेच कर महीने में एक लाख रुपए तक कमा रही हैं। इससे महिलाओं को जहां स्थायी रोजगार मिला वहीं उनके घरों की स्थिति बेहतर हुई ही है। समूह के खाद बनाने तरीके की तारीफ आसपास के जिले में होने लगी है। दूसरे जिले की अफसर मॉडल देखने व टिप्स लेने रायगढ़ आ रहे हैं। लोढ़ाझर गौठान के प्रबंधक मनोज साहू के अनुसार छह महीने पहले प्रदेश सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत कान्हा स्व सहायता समूह की महिलाओं ने इसकी शुरुआत की थी। उन्होंने गौठान से ही गोबर लेकर वर्मी कंपोस्ट बनाना शुरू किया। महिलाएं अपने परिश्रम से हर महीने लगभग 2 से 3 टन तक वर्मी कंपोस्ट बना रही हैं। खाद तैयार होने के बाद उसे आसपास के गांवों में जाकर मार्केटिंग कर खुद खाद बेचती हैं। केंचुआ खाद के हो उत्पादन से जिले के साथ-साथ दूसरे जिले की समितियों ने इस पर काम करने की तैयारी शुरू की है। केंचुआ खाद के उत्पादन को देखने के लिए जांजगीर चांपा जिले के डभरा ब्लॉक के अधिकारियों की टीम बाकायदा प्रशिक्षण के लिए पहुंची थी। इसके बाद अफसरों ने उन्हें बाकायदा खाद का ऑर्डर भी दिया। महिला समूह में 10 महिलाएं है। खाद बेचकर महिलाएं एक महीने में 1 लाख रुपए से अधिक आय प्राप्त करती है। इस हिसाब से हर महिला को प्रतिमाह 10 हजार रुपए से अधिक की आय प्राप्त हो रही है।
नए तरीके अपना कर लागत से चार गुना अधिक मुनाफा
कृषि वैज्ञानिकों ने गौठानों में तैयार होने वाले वर्मी कम्पोस्ट को एक किलो गोबर में 300 ग्राम खाद निर्माण निर्धारण रखा है, जबकि लोढ़ाझर गौठान में कान्हा महिला समूह एक किलो गोबर से 4 किलो वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर रहा है। एक किलो केंचुआ खाद की कीमत 10 रुपए है, जिससे महिला समूह को 4 किलो तैयार करने पर 40 रुपए का मुनाफा हो रहा है। महिलाएं खाद का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए गोबर के साथ गांव के घरों के से निकलने वाले सड़ी-गड़ी सब्जियों और खेत से बचे पैरा कुटी तथा अन्य सामग्रियों को मिलाती है। इससे गोबर की मात्रा बढ़ जाती है।
अब हर महीने 2 लाख रुपए कमाने का लक्ष्य
लोढ़ाझर गौठान में गोधन न्याय योजना में कान्हा स्व-सहायता समूह के अनुसार वे गौठान को ही आजीविका बनाना चाह रही हैं। समूह ने गोधन न्याय योजना में गोबर खरीद उससे वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जा रहा है। जिले के अन्य गौठानों के लिए स्वस्थ केंचुए की आपूर्ति भी की जा रही है। महिलाओं का लक्ष्य है कि वे प्रोडक्शन बढ़ाकर हर महीने कमाई 2 लाख रुपए तक पहुंचाए।
दूसरे गौठानों में भी इस मॉडल को लागू करेंगे
“लोढ़ाझर में महिलाओं का समूह बहुत अच्छा काम कर रहा है। मैंने पिछले दिनों वहां का निरीक्षण किया था। मैंने कृषि अधिकारी से समूह द्वारा अपनाई जा रही तकनीक को समझने और उसका अध्ययन करने के लिए कहा है। हम इसे मॉडल के रूप में दूसरे गौठानों में लागू कराएंगे ताकि अधिक वर्मी कम्पोस्ट बनाकर महिलाओं को अधिक से अधिक लाभ हो सके।”
-भीम सिंह, कलेक्टर
साभार: दैनिक भास्कर

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