हर साल सवा चार करोड़ खर्च, आरटीई वाले बच्चों की पढ़ाई कैसी; होगी जांच
कलेक्टर के निर्देश पर बनेगी रिपोर्ट, देखेंगे ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है या नहीं
रायगढ़. कोरोनाकाल में आरटीई के तहत दाखिला पाने वाले बच्चों की पढ़ाई कैसी चल रही है, कलेक्टर के निर्देश पर अफसर इसकी जांच करेंगे। इसके लिए बाकायदा टीम बनाई गई है। टीम में सहायक संचालक, ब्लॉकों के बीईओ, एबीईओ और दो ब्लॉक स्तर शिक्षा अधिकारियों को रखा गया है। ये टीम जांच करेगी। डीईओ आरपी आदित्य, कलेक्टर को रिपोर्ट देंगे।
ऑनलाइन क्लासेस लग रही है या नहीं कोर्स की प्रोग्रेस क्या है। इसकी जानकारी दी जाएगी। जिले में 464 प्राइवेट स्कूल हैं। 345 स्कूल आरटीई में रजिस्टर्ड हैं। इस वर्ष प्राइवेट स्कूलों ने लॉकडाउन के बाद भी आठ फीसदी तक सीटें बढ़ा लेने की जानकारी शिक्षा विभाग को दी है।
गरीब बच्चों के दाखिले पर सरकार भरती है फीस
जिले के 345 स्कूलों को हर साल 4 करोड 26 लाख रुपए का भुगतान किया जा रहा है। पिछले वर्ष 2019-20 का बजट करीब 2 करोड़ 24 लाख रुपए था। स्कूलों को इस वित्तीय वर्ष में साढ़े 6 करोड़ की राशि इसी साल मिलनी है लेकिन इसमें हर स्कूल को डेढ़-दो लाख रुपए मिलते हैं। इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी आरटीई वाले बच्चों की पढ़ाई की मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही थी।
आईटीई की गाइडलाइन के अनुसार हर प्राइवेट स्कूलों के आसपास जो भी सरकारी स्कूल होते हैं उनके प्रिंसिपल और सरकारी शिक्षक अपने स्कूल के साथ आरटीई के पढ़ने वाले बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता मॉनिटरिंग करना होता है। कभी भी इस पर ध्यान ना तो शिक्षक ध्यान देते हैं और ना ही विभाग की नजर इस पर रहती है। शिक्षा विभाग का मानना है कि प्राइवेट स्कूल आरटीई के तहत बच्चों पर ध्यान भी नहीं देते हैं।
साभार: दैनिक भास्कर