हैंडपंप पर वाटर हार्वेस्टिंग, खेतों की सिंचाई करने तालाब से निकाली नहर

रायगढ़. सारंगढ़ के गांव मुड़वाभांठा की आबादी 2 हजार लेकिन जल संरक्षण, स्वच्छता के प्रति जागरूकता गजब की, अब गौठान में खाद भी बना रहे हैं
सारंगढ़ से 12 किलोमीटर दूर ‘मुड़वाभांठा’ गांव है। गांव में पानी बचाने और स्वच्छता के लिए जो तरीके अपनाए गए हैं। वह शहरी लोगों के लिए मिसाल है। पानी बर्बाद ना हो इसका इंतजाम किया गया है। हैंडपम्प में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया है। हर तालाब से नहरें निकाली गई हैं ताकि उससे खेती हो सके। गांव की आबादी 2 हजार है। गांव में 70 प्रतिशत लोगों का जीवन यापन खेती से ही होता है। खेती की वजह ग्रामीणों को पानी के महत्व का पता है। हर घर पानी बचाने का प्रयास कर रहा है।
गांव में 14 सार्वजनिक हैंडपंप लगे हुए हैं। सभी हैंडपंप में पानी व्यर्थ ना बहे इसलिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया है। हैंडपंप से पानी भरने के बाद जो अतिरिक्त पानी नीचे गिरता है वह सीधे सोखता गड्‌ढे में चला जाता है। इसी तरह गांव में खेती के लिए भी तालाब के पानी का इस्तेमाल किया जाता है।
गांव में 4 तालाब हैं, 2 तालाबों से 4 किलोमीटर लंबी नहर निकली हुई है। जो लगभग 60 एकड़ खेतों को सिंचित करती है। गांव के जिन घरों में हैंडपंप मौजूद हैं, उन्होंने भी पानी बचाने के लिए टैंक बनाकर रखा है। ताकि अतिरिक्त पानी गड्‌ढे में जमा हो और उसका दोबारा इस्तेमाल किया जा सके।
गांव के बाहर बनाया हुआ है सामुदायिक शौचालय
गांव के प्रवेश द्वार पर ही सामुदायिक शौचालय बना हुआ है। बाहर से आने वाले व्यक्ति खेतों में ना जाए इसलिए यह व्यवस्था की गई है। गांव में कुछ ट्रांसजेंडर भी हैं‌ इसलिए उनको ध्यान में रखकर अलग से व्यवस्था की गई है। इसी तरह दिव्यांगों के लिए भी अलग इंतजाम हैं। गांव में इधर-उधर कचरा फेंकने पर भी लोग एक-दूसरे को टोकते हैं।
हर महीने 4 क्विंटल खाद बना रहे ग्रामीण
गांव के गौठान में खाद बनाने का भी काम चालू है। गांव से गोबर इकट्ठा कर उसे गौठान में बने पिट में खाद बनाने के लिए रखा जाता है। गौठान में लगभग 8 पिट बने हैं। जिनमें खाद तैयार हो रही है। हर महीने लगभग 4 क्विंटल खाद बनाई जाती है। ग्रामीण उत्पादन बढ़ाने की तैयारी में हैं।
शिक्षा के प्रति भी जागरूक अच्छी नौकरियों में हैं लोग
गांव में पांचवी तक ही स्कूल है। आगे की पढ़ाई के लिए वे 12 किलोमीटर दूर सारंगढ़ जाते हैं। गांव में कई ऐसे युवा हैं जो राज्य के अलावा बाहरी प्रदेशों में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गांव से दो थानेदार, दुर्ग और राजनांदगांव में हैं। तहसीलदार, डॉक्टर, माइनिंग अफसर तथा अन्य शासकीय सेवाओं में गांव के युवा अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
साभार: दैनिक भास्कर

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