64 लाख वसूलने कुर्की की तैयारी, गतिरोध दूर कर जूट मिल शुरू कराने की भी कोशिश
कर्मचारियों का बकाया देने कोर्ट का आदेश, कुर्की के लिए तहसीलदार करा रहे हैं नापजोख
रायगढ़. प्रदेश में बारदाना को लेकर हायतौबा मची इसी बीच लगभग 10 साल से बंद शहर की ऐतिहासिक जूट मिल की नापजोख चल रही है । जूटमिल कर्मचारियों के बकाया 64 लाख रुपए के भुगतान के लिए 2018 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद आरआरसी जारी कर वसूली करने के निर्देश दिए गए थे। तहसीलदार ने अब इश्तेहार जारी कर कुर्की की तैयारी की है। वहीं दूसरी तरफ प्रशासन जूट मिल शुरू कराना चाहता है ताकि न केवल जिले में बल्कि प्रदेश में बारदाने की कमी दूर हो।
शहर के जूट मिल से कभी न केवल प्रदेश बल्कि दूसरे राज्यों को बारदाने की सप्लाई होती थी। अब इसकी कुर्की की तैयारी शुरू की गई है। जूट मिल प्रबंधन पर कर्मचारियों का 63 लाख 64 हजार 800 रुपए का भुगतान बाकी है। बैठक और आश्वासन के बाद जब बात नहीं बनी थी तो कर्मचारी संगठन ने हाईकोर्ट गए थे। जिसमें जमीन कुर्क कर नीलामी करने और कर्मचारियों को भुगतान करने के आदेश दिए थे।
तहसीलदार सीमा पात्रे के मुताबिक कलेक्टर ने राजस्व, पीडब्ल्यूडी, विद्युत यांत्रिकी, ग्रामीण यांत्रिकी और आईटीआई कॉलेज प्रबंधन के संयुक्त टीम बना करके पूरे एरिया का सीमांकन कराने के साथ संपत्ति का आकलन करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले 31 मार्च 2016 को आठ लाख रुपए से अधिक का सरकारी बकाया होने के कारण जूट मिल की नीलामी की तारीख घोषित की गई थी। हालांकि बाद में कंपनी ने किस्तों में पैसा दिया था लेकिन कर्मचारियों का भुगतान नहीं किया जा सका है।
1335 कर्मचारियों की तनख्वाह बाकी
जूटमिल मजदूर यूनियन से जुड़े जगदीश सिंह बताते हैं कि 2010 से मिल बंद होने के बाद 1335 कर्मचारियों को सैलरी नहीं दी जा सकी है। इनकी सैलरी के लिए राशि कुर्क करके नीलामी की कार्रवाई प्रशासन ने शुरू की है। इससे पहले तक संगठन द्वारा कई बार मांग की जाती रही, लेकिन संगठन बातों को नहीं माना गया।
40 टन बारदाने का उत्पादन होता था
ट्रेड यूनियन के गणेश कछवाहा ने बताया कि जूट मिल में सन् 2000 तक हर महीने 40 टन जूट का बारदाना बनता था। उस समय एफसीआई और मार्कफेड को बारदाने देने के साथ ही देशभर में इसकी सप्लाई की जाती थी। इसके बाद जूट बारदाने बच जाते थे, अभी जैसी स्थिति नहीं रहती थी। 1930 में सेठ किरोड़ीमल ने मिल शुरू कराई थी, बाद में किरोड़ीमल ने इसे मोहन लाल जालान को बेच दिया था, 1989 में यह पवन अग्रवाल के आधिपत्य में आ गई।
जूटमिल शुरू कराएंगे ताकि बारदाने मिलें: कलेक्टर
कलेक्टर भीम सिंह कहते हैं, सभी तरह के बकाए का भुगतान कर जूट मिल शुरू करने के लिए कहा गया है। आरआरसी के अलावा लेबर कोर्ट में जूट मिल का मामला चल रहा है। इसके साथ ही एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में भी कंपनी का मामला चल रहा है। हमारी कोशिश है कि कंपनी के सारे लंबित मामले निपटाने के बाद मिल शुरू हो ताकि न केवल लोगों को रोजगार मिले बल्कि बारदाने की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो।
1 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का आकलन
कर्मचारियों वेतन की राशि के लिए हमने आरआरसी वसूली के लिए कुर्की करके संपत्ति नीलाम करने के लिए इश्तेहार जारी किया है। संपत्ति का सीमांकन कर उसके मूल्य का आकलन कराया जा रहा है। 63 लाख 64 हजार रुपए की वसूली होनी है, लेकिन संपत्ति एक करोड़ रुपए से ज्यादा की निकली है। अभी और वेल्युएशन होना है। इसी तरह पीडब्ल्यूडी भवन, प्लांट मशीनरी के लिए आईटीआई कॉलेज प्रबंधन से आकलन कराएगा। दो-तीन में रिपोर्ट तैयार कर लेंगे।
साभार: दैनिक भास्कर