कागजों में 4 साल पहले बनीं नहरें, अभी चल रहा है लाइनिंग वर्क
54 हजार एकड़ पर सिंचाई का लक्ष्य है, सालों बाद भी लगभग 15 हजार एकड़ खेतों में पहुंचता है पानी
रायगढ़. केलो परियोजना की शाखा नहर झारमुड़ा ब्रांच के 9 किलोमीटर के हिस्से में लाइनिंग (नहर को पक्का करने का काम) किया जा रहा है। जबकि विभाग इस नहर को चार साल से 100 प्रतिशत पूरी बताता आ रहा है। अभी इस नहर की खुदाई और लाइनिंग वर्क दोनों ही एकसाथ किए जा रहे हैं। केलो परियोजना की अधिकतर नहरों का हाल बेहाल है। मुख्य नहर सहित सभी नहरें अधिकतर जगहों पर अधूरी पड़ी हुई है। जबकि विभाग के रिकॉर्ड में इनसे हजारों एकड़ पर सिंचाई हो रही है। भास्कर की टीम की पड़ताल में झारमुड़ा ब्रांच कैनाल में काम होते दिखा। यहां पर 9 किलोमीटर लंबे एरिया में लाइनिंग के साथ नहर की गहराई का भी काम कराया जा रहा है। अफसर इसे पुराना काम बता रहे हैं।
जानिए यह काम क्यों जरूरी…लाइनिंग वर्क से बेहतर होता है पानी का बहाव
विशेषज्ञों के अनुसार लाइनिंग वर्क से पानी का बहाव तेज होगा। पानी का नुकसान कम होगा। नहर साइड से कटेगी नहीं। कैनाल में टूट-फूट का डर भी कम होगा। पानी जहां पहुंचना चाहते है वहां तक सुगमता से पहुंचेगी। नहर में ऊपर की मिट्टी गिरने पर वह पटेगी नहीं, उसे दोबारा साफ करने में भी आसानी होगी। इसलिए नहरों में लाइनिंग वर्क कराया जाता है।
नहरें अधूरी हैं हम कोशिश कर रहे हैं
“काम पहले से प्रस्तावित था, इसलिए अभी काम कराया जा रहा है। कुछ जगहों पर नहरें अभी भी अधूरी हैं। वह जमीन विवाद के कारण है, हम उसे सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।”
-पी डी अग्रवाल, ईई, केलो परियोजना रायगढ़
साभार: दैनिक भास्कर