नन्हे उम्र मे काम के साथ -साथ हाथ मे लिये समोसे को एक छोर से दूसरे छोर पहुंचकर खाने की खुशी …..
नन्हे उम्र मे काम के साथ साथ – हाथ मे लिये समोसे को एक छोर से दूसरे छोर पहुंचकर खाने की खुशी …..
मन को भावुक करने वाली तस्वीर …
अभावों को भूलकर जो है उसी मे खुश रहने की सीख देती मार्मिक तस्वीर …. विगत तीन - चार दिनों से आप लोगों ने दूसरे राज्य से आये परिवारों को विभिन्न चौक चौराहों मे लाईट वाले बैलून व कार्टून बेचते देखा होगा | मेरी जानकारी के अनुसार स्थानीय रामलीला मैदान मे विगत तीन चार दिनो से दूसरे राज्य से अपने रोजी रोटी के लिये लगभग 20 से 25 की संख्या मे कुछ परिवार आया हुआ है जिसमें महिला , पुरुष व बच्चे शामिल हैं। अक्सर ये सभी रामलीला मैदान के स्टेज मे खाना खातेआराम करते व साथ ही अपने द्वारा लाये खिलौने को बेचने के लिये तैयार करते देखे जा सकते हैं। अपनी दैनिक रोजी रोटी की व्यवस्था मे ये गली मोहल्ले मे बच्चों का मन मोह लेने वाले आकर्षक कार्टून व लाईट वाले बैलून बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। दिनभर मेहनत कर दैनिक जीवन की जरूरतों को पूरा भी कर रहे हैं। आज लगभग 5 बजे रामलीला मैदान का एक गेट ( होटल जानकी) के ठीक सामने जहां फोटो मे दिख रहे बच्चों का एक समूह ये वस्तुएँ बेच रहे थे तो दूसरी ओर पाहवा जनरल स्टोर्स के पास दूसरा समूह । फोटो मे दिख रहे ये दोनो बच्चे एक - एक हाथ मे बाल्टी मे सामान उठाये दूसरे एक - एक हाथ मे एक-एक समोसा लिये काम के साथ खुश होते हुये दूसरे गेट के पास जहाँ इनका एक परिवार सामान बेच रहा था वहाँ जा रहे थे। निश्चित ही इनके परिवार के सदस्य ही इन बच्चों को बोले हों कि जाओ इस सामान को वहाँ पर ले जाओ जहाँ हमारा एक और परिवार सामान बेच रहा है। दोनो बच्चे महज 5- 6 वर्ष के खुशी के साथ एक हाथ में बाल्टी थामे दूसरे हाथ में दोना मे एक एक समोसा लिये ऐसे जा रहे थे जिसे देख मन भावुक हो गया | बीच बीच में रुक रुककर खिलौने से भरे बाल्टी को रखते अपना ढीली पेंट ऊपर चढ़ाते और पैरों मे बिना चप्पल के फिर भी पूरे जोश व उत्साह के साथ - साथ दूसरे छोर पर पहुंचे। पहुंचने के बाद इनकी खुशी का ठिकाना नही था क्योंकि हाथ मे दोना मे समोसा जो लिये थे दोनो नन्हे बच्चे । बाल्टी मे भरे खिलौने को पहुंचाने का काम समाप्त कर समोसे को खाने की जो खुशी इनके चेहरे पर था उसे लिखकर बयाँ करना मुश्किल है, लेकिन यह . जरूर है कि साधनों के अभाव के साथ साथ भी जीवन मे सन्तुष्ट होकर खुश रहा जा सकता है , जो इन बच्चों के चेहरे पर देखते बन रहा था । बहुत ही मार्मिक दृश्य था ।