महीने में 900 रुपए ज्यादा और 1.5% सरचार्ज दे रहे उपभोक्ता
जागरूकता नहीं इसलिए हर माह बिजली बिल में 6 करोड़ 84 लाख रु. ज्यादा दे रहे हैं ग्राहक
रायगढ़. छत्तीसगढ़ सरकार ने बिजली बिल हाफ योजना के तहत बिजली बिल हाफ तो कर दिया है। लेकिन बकाया नहीं चुकाने के कारण हर महीने उपभोक्ता 6 करोड़ 84 लाख रुपए ज्यादा बिल दे रहे हैं या ये कहें कि योजना के बावजूद इतनी राशि का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इतनी रकम सरकार बिजली कंपनी को बतौर सब्सिडी देती, जो योजना के रूप में लोगों को मिलती। बिजली विभाग द्वारा बीते कुछ दिनों से अभियान चलाकर बकायादारों के कनेक्शन काटे जा रहे हैं। इसमें बड़े-छोटे सभी तरह के बकायादार हैं जिन्होंने सालों से बिल नहीं चुकाया है। डिसकनेक्शन वाले ज्यादातर उपभोक्ताओं पर बकाया ज्यादा नहीं है। उनका हर माह 400 से भी कम यूनिट का बिजली बिल आ रहा है। इससे सरकार उपभोक्ताओं को ज्यादा नुकसान हो रहा है। जिले में कुल 2 लाख 49 हजार बिजली उपभोक्ता हैं। इसमें विभाग के रिकार्ड के अनुसार 1 लाख 73 हजार लोग ऐसे हैं जो हर महीने 400 यूनिट से कम का उपभोग करते हैं। बावजूद बकाया होने के कारण उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। हर उपभोक्ता को प्रति महीने लगभग 900 रुपए और बिल का 1.5 प्रतिशत सरचार्ज अलग से देना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार की योजना के तहत वह खुद लोगों के बिजली बिल का आधा रकम बिजली कंपनियों को भुगतान करती है।
9 महीने तक 90% घरों में 400 यूनिट से कम खपत
बिजली विभाग के ईई गुंजन शर्मा के अनुसार साल के 9 महीने शहर के 90 प्रतिशत घरों में यानि लगभग 2 लाख 24 हजार घरों में 400 यूनिट से कम की खपत होती है। इस हिसाब से इन 9 महीनों तक घरों के बिजली बिल का कुल 20 करोड़ 16 लाख रुपए सरकार खुद की जेब से दे सकती है। योजनाओं का लाभ नहीं लेने के कारण आम व्यक्ति इसे खुद वहन करता है।
नियमित भुगतान वाले फायदे में
किसी व्यक्ति पर 50 हजार रुपए का बकाया है। महीने में उपभोक्ता ने 400 यूनिट इस्तेमाल किया है। 400 यूनिट का 1764 रुपए और सरचार्ज मिला कर उसे 2514 रुपए देने होंगे। किसी का बकाया कुछ भी नहीं है तो उसे महज 882 रुपए ही देने होंगे। एक ही बिल के लिए एक उपभोक्ता 900 से भी कम रुपए देगा वहीं दूसरे को 2500 से ज्यादा देने हैं।
90 करोड़ उद्योग, 112 करोड़ सरकारी दफ्तरों पर बकाया
बिजली विभाग को पूरे जिले में लगभग 200 करोड़ रुपए की वसूली करनी है, जो सालों से पेंडिंग है। सरकारी दफ्तरों से ही उसे 112 करोड़ रुपए वसूलने हैं। प्राइवेट फर्म से लगभग 90 करोड़ रुपए की वसूली करनी है। वसूली के लिए ही विभाग लगातार अभियान चलाकर कनेक्शन काट रहा है।
चक्रवृद्धि ब्याज के साथ ज्यादा रुपए देने पड़ते हैं
“हमारा अभियान जारी है। बिल नहीं देने पर चक्रवृद्धि ब्याज के साथ लोगों को ज्यादा रुपए देने पड़ते हैं। बिल हर माह बढ़ता ही रहता है। इसके अलावा सरकार से मिलने वाली छूट भी नहीं मिलती है।”
-एस के साहू, ईई, सीएसईबी, जोन-1
साभार: दैनिक भास्कर