मोबाइल मेडिकल यूनिट से हर महीने 4 हजार लोगों का हो रहा इलाज

तीन महीने में 12 हजार से ज्यादा मरीज की जांच व इलाज, कई लोगों को बीमारी का पहली बार पता चला
रायगढ़. मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना की मोबाइल मेडिकल यूनिट से शहर के वार्डों में हर रोज सैकड़ों लोगों का इलाज, जांच के साथ दवा दी जा रही है। मोबाइल यूनिट में इलाज करा चुके 40 फीसदी लोग डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं। चिंता की बात यह है कि इनमें से ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है कि वे गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, लेकिन इसके लिए वे अस्पताल नहीं गए। स्वास्थ्य विभाग के लिए भी यह अलार्म है कि बीपी और शुगर को लेकर लोगों को जागरूक किया जाए। मोबाइल मेडिकल यूनिट में ब्लड, यूरिन टेस्ट समेत जरूरी रक्त या पैथोलॉजी जांच की जाती है। नवंबर में 2 मोबाइल मेडिकल वैन शुरू की गईं। इसमें प्राथमिक इलाज किया जा रहा है। तीन महीने में ही इस वैन से लगभग 12 हजार से अधिक लोग जांच और इलाज करा चुके हैं। वार्डों में मेडिकल वैन में इलाज कराने वाले ज्यादातर लोग वायरल फीवर और सर्दी-खांसी से पीड़ित होते हैं। तीन महीने में साढ़े 3 हजार से अघिक मधुमेह और ढाई हजार से अधिक रक्तचाप के लक्षण वाले मरीज मिले हैं। गंभीर हालत में कोई मरीज नहीं मिला है लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक इतनी बड़ी संख्या में अनडायग्नोस्ड (पहले जिसका पता न हो) बीपी और शुगर के मरीज मिलना बड़ी बात है। ये दोनों ही बीमारियों उम्र के साथ गंभीर होती हैं। इससे आंख, किडनी, हार्ट की बीमारी होती है। इसके साथ ही सही इलाज नहीं होने पर गैंगरीन और स्ट्रोक जैसी जटिलता हो सकती है।
कुल मोबाइल मेडिकल यूनिट-4
कैंप में आने वाले मरीजों की औसत संख्या प्रतिमाह-4 हजार
प्रतिदिन लैब टेस्ट मरीजों की संख्या-100
प्रतिदिन दवा वितरण-300 लोगों में
हर माह रक्तचाप की जाने वाले मरीज -2.5 हजार
हर माह डायबिटीज जांच किए मरीजों की संख्या-साढ़े 3 हजार
यह है पूरा प्रोसेस

पहले बॉडी टेम्प्रेचर की जांच
रसीद बनाई जाती है
पर्ची के साथ आईडी, आधार और मोबाइल नंबर का एंट्री ।
जांच के बाद दवा मुफ्त में दी जाती है
इन कारणों से बढ़ रहे हैं मधुमेह के मरीज
डॉ. जितेंद्र नायक के अनुसार डायबिटीज व हाई बीपी अनियमित दिनचर्या का नतीजा है। खान-पान में अनियमितता और मानसिक तनाव से बचाव के लिए कोई उपाय नहीं करना एक बड़ा कारण है। यह धीरे-धीरे बीमारियों में बदल रही है।
शहर में प्रदूषण इसलिए चर्म रोग के मरीजों की संख्या भी ज्यादा
डॉक्टरों के अनुसार इन मोबाइल मेडिकल यूनिट में चर्मरोग से संबंधित शिकायतों का इलाज भी सबसे ज्यादा हो रहा है। इसका प्रमुख कारण शहर में बढ़ता प्रदूषण और कोरोना काल में सैनिटाइजर का ज्यादा उपयोग बताया जा रहा है। कुछ दिनों से लगातार लोग चर्मरोग की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। हालांकि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी चर्मरोग से संबंधित मरीज ज्यादा बढ़े हैं। डॉक्टर दिलीप सॉ के अनुसार शरीर की सही देखभाल से चर्मरोग से बचा जा सकता है। चर्मरोग से ग्रसित मरीज को अपने कपड़े को दूसरों से अलग रखने की जरूरत है ताकि बीमारी ना फैले।
साभार: दैनिक भास्कर

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