विदेशों से आयात किया जाने वाला रेशम का ताना अब जिले में ही होगा तैयार

रायगढ़, 6 मार्च 2021/ रेशमी कपड़े बनाने में दो तरह के धागे ताना अर्थात लम्बे धागे व बाना मतलब कपड़े की चौड़ाई में उपयोग होने वाले धागों का प्रयोग होता है। ताना की मजबूती ज्यादा होती है तथा रेशमी कपड़ों की बुनाई में यह आधार का काम करती है। जिले में रेशमी कपड़ों के निर्माण के लिये बाना तो स्थानीय स्तर पर बनाये जाते है। पर ताना के लिये अभी भी निर्भरता बाहर से आयात पर ही है। किन्तु अब कलेक्टर श्री भीम सिंह की पहल ताना निर्माण की मशीन जिले में स्थापित होने जा रही है। इससे रेशमी कपड़े बनाने के लिये जरूरी बाना के साथ ताना भी अब जिले में ही तैयार होगा।
कलेक्टर श्री सिंह ने इसके लिये रेशम विभाग के अधिकारी को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित आजीविका से जुड़े विभागों की बैठक में दी। उन्होंने अधिकारियों को रायगढ़ को रेशम एक्सपोर्ट हब के रूप में तैयार करने के अगले 3 साल का रोडमैप तैयार करने के लिये कहा। जिसमें जिले में रेशम के धागे का निर्माण, उसकी बुनाई कर कपड़े तैयार करने से लेकर उत्पादों की मार्केटिंग व एक्सपोर्ट से जुड़े सभी पहलू शामिल हो। उन्होंने इस कार्य में महिला स्व-सहायता समूह को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जोडऩे के निर्देश देते हुये गौठानों में रीलिंग मशीन स्थापित करने के लिये कहा।
लघु वनोपज के समर्थन मूल्य को संग्राहकों के बीच करे प्रचारित
कलेक्टर श्री सिंह ने बैठक में लघु वनोपज के खरीदी पर चर्चा की। जिले में महुआ, साल बीज, तेन्दुपत्ता की प्रमुख रूप से खरीदी की जाती है। उन्होंने शासन द्वारा घोषित लघु वनोपज के समर्थन मूल्य व संग्रहण की गाईड लाईन को ग्राम सभा के एजेण्डे में शामिल करने के लिये कहा। जिससे संग्राहकों को शासन द्वारा दिये जाने वाली कीमतों की जानकारी हो तथा यदि व्यापारी द्वारा इससे कम दाम दिये जाये तो उन्हें पता हो कि समर्थन मूल्य पर वे वनोपज वन विभाग को बेच सकते है। उन्होंने प्रत्येक पंचायत में लघु वनोपज के समर्थन मूल्य की सूची भी अनिवार्य रूप से चस्पा करवाने के लिये कहा। तमनार में वन विभाग द्वारा तैयार किये जा रहे हर्बल उत्पाद निर्माण का कार्य शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिये। वन विभाग द्वारा संचालित आजीविका मूलक गतिविधियों की वनधन केन्द्रवार जानकारी तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।
आईल पॉम की खेती में है एक्सपोर्ट की अच्छी संभावनायें
बैठक में जिले में आईल पॉम की खेती के संबंध में भी चर्चा की गई। बरगढ़ उड़ीसा में आईल पॉम प्रोसेसिंग की फैक्ट्री स्थापित होने जा रही है। एक्सपोर्ट की संभावनाओं को देखते हुये सीमावर्ती क्षेत्र पुसौर, सरिया, बरमकेला क्षेत्र में किसानों से संपर्क कर उन्हें उनकी पड़त भूमि पर पॉम की खेती के लिये प्रोत्साहित करने के निर्देश दिये। इसके लिये उद्यान विभाग के द्वारा योजना भी चलायी जा रही है जिसमें किसानों को प्रति हेक्टेयर 143 आईल पॉम के पौधे के पौध रोपण व चार साल तक पौधे के रख-रखाव करने के लिये राशि मिलेगी। किसानों की फसल खरीदने के लिये उद्यानिकी विभाग का एक कंपनी से एमओयू हुआ है। इसे किसानों के बीच प्रचारित करने के निर्देश दिये गये। तमनार मेें प्रारंभ किये जा रहे टेक्सटाईल्स यूनिट का कार्य शीघ्र प्रारंभ करने के लिये कहा। जिससे उद्योगों के कर्मचारियों के लिये डे्रसेस निर्माण कार्य शुरू हो सके। उन्होंने कहा कि झारा शिल्पकार द्वारा निर्मित कलाकृतियां बेहद अनूठी व आकर्षक होती है। इसका उद्योगों के बीच अतिथियों व विभिन्न समारोह में स्मृति चिन्ह के रूप में प्रदान किये जाने को लेकर प्रचारित करने के लिये कहा।
कोसीर में होगा कड़कनाथ का पालन
पशुपालन विभाग द्वारा गौठानों में किये जा रहे मुर्गी पालन की समीक्षा की गई। उप संचालक पशुपालन विभाग द्वारा बताया गया कि कोसीर में डीएमएफ मद से रियरिंग सेंटर तैयार किया गया है। जहां मुर्गियों के अन्य ब्रीड के साथ कडकनाथ का पालन किया जायेगा। साथ ही अन्य गौठानों में भी मुर्गी पालन का कार्य किया जा रहा है। कलेक्टर श्री सिंह इन मुर्गी पालन केन्द्रों को समीप के आंगनबाडिय़ों में अण्डे की आपूर्ति के लिये लिकेंज करने के लिये कहा। जिले में मछली पालन की अच्छी संभावनायें है। इसको देखते हुये ग्राम पंचायतों में तालाब के पट्टे महिला स्व-सहायता समूहों को आबंटित किये जा रहे है। बैठक में मिले लक्ष्य 492 हेक्टेयर के अनुरूप आबंटन की धीमी प्रगति पर नाराजगी जाहिर करते हुये जल्द प्रक्रिया को पूर्ण करने के निर्देश मत्स्य पालन विभाग को दिये गये। सामुदायिक बाडिय़ों के विकास की धीमी प्रगति पर भी उन्होंने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने इसे तेजी से पूरा करने के निर्देश उद्यानिकी विभाग के अधिकारी को दिये। मुनगा प्रोसेसिंग प्लांट के लिये उद्यान विभाग के द्वारा किये जा रहे पौधरोपण के साथ वन विभाग द्वारा इंटरक्रापिंग के रूप में तथा किसानों के द्वारा भी पौधरोपण करवाने के निर्देश उद्यानिकी विभाग को दिये।
मल्टी एक्टिविटी सेंटर में आय मूलक गतिविधियों पर हो फोकस
जिले के प्रत्येक विकासखण्ड के दो गौठानों में बनाये जा रहे मल्टी एक्टिविटी सेंटर में चिन्हांकित गतिविधियों की जानकारी ली। विकासखण्डवार कार्यक्रम अधिकारियों ने गौठानों में की जा रही आजीविका मूलक गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने समूहों के कार्य को व्यवस्थित करने तथा स्व-सहायता समूहों को आर्थिक रूप से ज्यादा फायदेमंद गतिविधियों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिये। चिन्हांकित गतिविधियों से जुड़ी टे्रनिंग देने तथा संसाधन की व्यवस्था करने के निर्देश दिये। गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी व कंपोस्ट निर्माण में गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखने के लिये कहा। कंपोस्ट बिक्री के पश्चात लंबित भुगतान को जल्द करवाने के निर्देश दिये। मनरेगा में श्रमिकों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये। प्रत्येक पंचायतों में 3 से 4 काम खुलवाने तथा मस्टर रोल जारी करवाने के लिये कहा।
माइंस क्षेत्र में कार्य करने महिलाओं को दिलवाये प्रशिक्षण
कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि एनटीपीसी खदान क्षेत्र में महिलाओं को रोजगार देने के लिये तैयार है। इसके लिये महिलाओं को चिन्हांकित कर विशेषज्ञों के माध्यम से प्रशिक्षण दिलवाने के लिये कहा, जिससे महिलाओं को माइंस क्षेत्र में रोजगार दिलवाया जा सके। कई समूहों द्वारा साबुन का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने होटल्स व हॉस्पिटेलिटी सेक्टर के संस्थानों से टाइअप कर उनकी मांग के अनुसार उत्पाद करने के लिये कहा। इसी प्रकार सीमेंट पोल व सेंटरिंग प्लेट निर्माण के काम से अच्छे रिस्पांस को देखते हुये इसे भी बढ़ाने के निर्देश दिये।
बैठक में सीईओ जिला पंचायत सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी, डीएफओ धरमजयगढ़ श्री मणिवासगन एस, एसडीओ फारेस्ट श्री बंजारे, उप संचालक कृषि श्री एल.एम.भगत सहित अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

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