विश्व ग्लुकोमा सप्ताह मनाया जा रहा आज से
रायगढ़, 6 मार्च 2021/ राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्पदृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम अन्तर्गत प्रति वर्ष 12 मार्च को विश्व ग्लुकोमा दिवस मनाया जाता है। कलेक्टर श्री भीम सिंह के दिशा-निर्देशन तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के मार्गदर्शन में रायगढ़ सहित जिले के समस्त विकासखण्ड़ोंं में जन-जागरूकता लाने दिनांक 07 मार्च से 13 मार्च 2021 तक विश्व ग्लुकोमा सप्ताह मनाया जा रहा है।
सीएमएचओ डॉ.एस.एन.केसरी ने आज कार्यालय के आरोग्यम सभाकक्ष में समस्त टेक्निकल एवं नॉन टेक्निकल अधिकारी/कर्मचारियों को ग्लुकोमा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह बीमारी सामान्य तथा 40 वर्ष के बाद शुरू होती है, ऑख में एक तरल पदार्थ (एक्वस) भरा होता है यह तरल पदार्थ आँख के गोले को चिकना बनाए रखता है यदि इस तरल पदार्थ का रिसाव रूक जाये तो आंॅख के अंदर का दबाव बढ़ जाता है। जिससे प्रभावित ऑंखों में दाब सहने की क्षमता से अधिक हो जाता है फलस्वरूप नेत्र के पर्दे की तंतु को क्षति पहुंचाती है। जिससे दृष्टि चली जाती है। इस बीमारी से दृष्टि खराब होने के बाद उसका कहीं उपचार नहीं हो सकता है। इसे ‘काला मोतिया’ भी कहा जाता है।
नेत्र सहायक अधिकारी श्री अर्जुन बेहरा ने ग्लुकोमा के सामान्य लक्षण एवं उपचार के बारे में बताते हुये कहा कि यह बीमारी सामान्य तथा 40 वर्ष के बाद शुरू होती है, एक प्रकार में ऑंख में तेज दर्द होता है, ऑंख लाल हो जाती हैं और दृष्टि कमजोर हो जाती है जिसे एक्यूट कंजस्टिव ग्लॉकोमा कहा जाता है। यदि तुरंत इसका उपचार कराने से कुछ दृष्टि वापस आ सकती है। दूसरे प्रकार में रोगी की ऑंख में दर्द नहीं होता और न ऑंख लाल होती है केवल दृष्टि धीरे-धीरे कम होने लगती है। नजदीक के चश्मे का नम्बर जल्दी-जल्दी बढ़ता है या कम उम्र में ही पढऩे में कठिनाई होने लगती है। दृष्टि के चारों तरफ का दायरा भी कम होता जाता है। ‘डार्क एडाप्टेशन टाईम’ (उजाले से अंधेरे में जानें पर ऑंखों को अंधेरे का अभ्यस्त होने में लगने वाला समय) बढऩे लगता है। व्यस्कों में परिधीय दृष्टि की हानी होती है। दूर के प्रकाशीय आब्जेक्ट को देखने पर आब्जेक्ट के चारों ओर सतरंगी इंद्रधनुष दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि 40 वर्ष की उम्र से साल में एक बार अपनी ऑंख की जॉंच नेत्र विशेषज्ञ से विशेषरूप से ग्लॉकोमा के लिये अवश्य करावें। यदि ग्लॉकोमा बीमारी की जानकारी हो जाती है तो दवाओं या ऑपरेशन से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है। सामान्यतया दवाईयों से ही यह नियंत्रित हो जाता है। ऑपरेशन तभी करते हैं जब यह दवा से नियंत्रण में नहीं रहता या रोगी दवा नहीं डाल सकता या दवा नहीं खरीद सकता।
ग्लॉकोमा की प्राथमिक जॉच एवं उपचार जिले के समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य क्रेन्द जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज में नि:शुल्क किया जाता है।