ग्राम्य भारती के संचालक लक्ष्मीनारायण चौधरी अब मानवाधिकार आयोग के दरवाजे पर देंगे दस्तक
ग्राम्य भारती के संचालक लक्ष्मीनारायण चौधरी अब मानवाधिकार आयोग के दरवाजे पर देंगे दस्तक
रायगढ़ ०1 अप्रैल। आदर्श ग्राम्य भारती शिक्षण एवं शोध संस्थान के संचालक लक्ष्मीनारायण चौधरी ने जेल से रिहा होने के बाद बयार से हुई खास मुलाकात में कहा है कि अपनी गिरफ्तारी को लेकर वे मानवाधिकार में दस्तक देंगे।
जमीन संबंधी एक विवाद के समाधान के लिये १९९९ से लम्बी कागजी लड़ाई लड़ रहे आदर्श ग्राम्य भारती शिक्षण एवं शोध संस्थान के संचालक लक्ष्मीनारायण चौधरी को विगत २८ मार्च को तमनार पुलिस ने जप्ता फौजदारी की धारा १५१ के तहत गिरफ्तार कर प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत जेल भेज दिया था। तहसीलदार तमनार ने उनकी ओर से लगाये गये जमानत की अर्जी को भी खारिज कर दिया था। नतीजतन लक्ष्मीनारायण चौधरी को बिना किसी अपराध के २८ मार्च से ३१ मार्च तक होली त्यौहार के अवसर पर अपने घर-गांव से दूर जेल में रहना पड़ा। दरअसल आदर्श ग्राम्य भारती शिक्षण एवं शोध संस्थान द्वारा तमनार में संचालित विद्यालय की भूमि पर तमनार के ही विनोद बाबा एवं अन्य द्वारा बेजा कब्जा कर लिया गया था। चौधरी बेजा कब्जा के विवाद के समाधान के लिये लगातार लड़ते आ रहे थे, आखिरकार उन्हें धरना प्रदर्शन और आमरण अनशन जैसा रास्ता अख्तियार करना पड़ा। उनकी ओर से यह लिखित चेतावनी भी दी गई थी कि अगर ३१ मार्च तक विवाद का समाधान नहीं हुआ तो ०१ अपै्रल को वे राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्मदाह जैसा कदम उठाने के लिये विवश होंगे। इस बात की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक अमला हरकत में आया और चार दिन पहले २८ मार्च को ही तमनार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन्हें रायगढ़ जिला जेल भेज दिया जबकि चौधरी को ०१ अपै्रल को राजधानी रायपुर में भी गिरफ्तार किया जा सकता था जब वे सीएम के बंगले के सामने आत्मदाह की चेतावनी पर अमल करते, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने लक्ष्मीनारायण चौधरी को बिना किसी ठोस आरोप के २८ मार्च को ही गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया और उनकी जमानत भी नहीं होने दी।
लक्ष्मीनारायण चौधरी इसे मानवाधिकार के हनन का मामला मानते है इसलिए वे इस पूरे मामले को खासतौर पर अपनी अवैध गिरफ्तारी को मानवाधिकार आयोग के समक्ष ले जाना चाहते हैं।