घुमंतू बच्चों का भविष्य कचरे के ढेर में दबकर हो रहा बर्बाद

विभाग के फाइलों मे आवासीय प्रशिक्षण केंद्र बंद
पत्थलगांव. शिक्षा विभाग ने शाला त्यागी या घुमंतू बच्चों के लिए कई योजनाएं चला रहा है। लेकिन शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही के कारण उनका लाभ मुख्य धारा से भटके बच्चों को कभी नहीं मिल सका। क्षेत्र में एक दर्जन से भी अधिक घुमंतू बच्चों का भविष्य कचरों के ढेर तले दबकर दम तोडऩे की कगार पर पहुंच चुका है। शिक्षा विभाग ने आरबीसी एवं नान रेसीडेंट ब्रिज कोर्स योजनाएं संचालित की। लेकिन ये सभी योजनाएं पिछले लंबे अर्से से फाइलों में दम तोड़ रही है। बताया जाता है कि शाला त्यागी बच्चे मुख्य धारा से अलग एवं कामकाजी बच्चों को रात के दौरान शिक्षा देने के लिए आवासीय प्रशिक्षण केंद्रों की शुरुआत की थी। जिसके तहत कोतबा, पंडरीपानी में इन केंद्रों की शुरुआत की गई। लेकिन अब आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र दम तोड़ चूके हैं। जिसके कारण मुख्य धारा से भटके बच्चों का शिक्षा स्तर नहीं उठ पा रहा। शिक्षाविदों की माने तो शासन की योजनाएं का सही रूप से क्रियान्वयन होता तो मुख्य धारा से भटके बच्चों को शिक्षा की राह में लाया जा सकता है, जिससे उन्हें कचरे के ढेर में जीविकोपार्जन या भोजन तालाश करने की जरूरत नहीं पड़ती। पत्थलगांव क्षेत्र में अक्सर घुमंतु बच्चों को कचरे के ढेर में भोजन या फिर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कबाड़ का सामान बीनते आसानी से देखा जा सकता है। ये उस सामान से कुछ पैसे हासिल कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते है। लेकिन शिक्षा के मार्ग से ये बिल्कुल भटक चुके हैं।
नशे की ओर अग्रसर
घुमंतू बच्चे अक्सर कचरे मे अपना व्यवसाय ढूंढ रहे हैं। उनके द्वारा खाने पीने की चीजों के साथ कबाड़ भी उठाया जाता है। जिसे ये बेचकर कुछ रुपए पैसों का जुगाड़ कर लेते है। कुछ बच्चे इन पैसों से नशे की लत के आदि भी हो चुके है। ऐसे बच्चे सुलेशन का नशा कर रहे हैं। सुलेशन फटे नोटों को चिपकाने एवं पंचर बनाने का काम आता है। कुछ दुकानों में घुमंतु बच्चों को सुलेशन आसानी से उपलब्ध होने के कारण ये कबाड़ से सामान बेचकर मिले रुपए से सुलेशन का नशा करते हैं।
कोई योजना संचालित नहीं

“शिक्षा के मार्ग से भटके बच्चों के लिए नाइट क्लास एवं आवासीय प्रशिक्षण केंद्र की कुछ सालों पहले शुरुआत हुई थी। वर्तमान में ऐसी कोई योजना संचालित नहीं है।”
-श्यामलाल साहू, बीआरसीसी, राजीव गांधी शिक्षा मिशन, पत्थलगांव
साभार: दैनिक भास्कर

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