चूल्हा, चौका संभालने वाली भिलाई की 30 हजार महिलाओं के पास अब खुद का अपना काम, हार्डवेयर दुकान से लेकर खाद बनाकर कमा रहीं हैं लाखों रुपए
भिलाई. जिले की ग्रामीण महिलाओं की तकदीर अब बदल रही है। महिला समूह के माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। पहले इनके पास स्वरोजगार के लिए काम नहीं होता था, अब हर हाथ में काम है। आज ग्रामीण महिला दिवस है। अब ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के पास रोजगार का संकट नहीं है। घर में खेती-किसानी के अलावा समाज के विकास में बढ़ चढ़कर योगदान दे रही हैं। जिला प्रशासन का दावा है कि राष्ट्रीय आजीविका मिशन बिहान के तहत 30 से 35 हजार महिलाओं को महिला समूहों के माध्यम से कुछ न कुछ रोजगार मिला है। राज्य सरकार के माध्यम से इन्हें जमीन से लेकर आर्थिक रूप से मदद भी मिल रही है। ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) की शुरुआत की गई है। इससे जुड़ने के लिए प्रभारी लोचन दास से 9098993071 नंबर पर भी संपर्क कर सकते हैं।
जानिए कहां कितने समूह
दुर्ग – 72 ग्राम पंचायत में 500 से ज्यादा महिला समूह है। 6000 से ज्यादा महिलाओं को समूह के माध्यम से रोजगार मिला।
पाटन – 112 ग्राम पंचायत में 800 समूह का गठन किया गया है। 9600 महिलाओं को सीधा रोजगार दिया जा रहा है।
धमधा- 118 पंचायतों में 1200 महिला समूह का गठन किया गया है। 14400 महिलाओं को स्वरोजगार देने का दावा।
मुर्गी पालन से लेकर बकरीपालन: ग्रामीण महिलाओं को बिहान कार्यक्रम के माध्यम से मुर्गी पालन से लेकर बकरी पालन का काम दिया गया है। इससे उनकी आय दोगुनी तक हो गई है। अब तक यह काम पुरुषों को दिया जाता था।
गोधन योजना में खाद: प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन योजना का जिम्मा महिलाओं के पास ही है। गांवों में गौठान में सब्जी की पैदावार से लेकर अन्य चीजों का उत्पादन भी कर रही हैं। यही नहीं, योजना के तहत गोबर से खाद भी महिलाएं बना रही हैं।
हार्डवेयर दुकान संचालन: अब ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं हार्डवेयर से लेकर अन्य जरूरी चीजों की दुकानें संचालित कर रही हैं। इसके लिए सरकार की ओर से लोन भी मुहैया कराई जा रही है। शहरी के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं इससे आत्मनिर्भर बन रही हैं।
ग्रामीण महिलाओं को अब बनाया जा रहा आत्मनिर्भर
“ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। महिलाओं के पास अब काम है। हार्डवेयर दुकान संचालन से लेकर मुर्गी, बकरी, मछलीपालन व खेती-बाड़ी जैसे कई अन्य कार्य कर रही हैं। सभी ग्राम पंचायतों में ज्यादा से ज्यादा महिला समूह बनाकर आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य है।”
-लोचन दास, प्रभारी अधिकारी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन