छत्तीसगढ़ में जैव-विविधता के संरक्षण, संवर्धन एवं उचित प्रबंधन से स्थानीय ग्रामीणों को आर्थिक लाभ मिलना प्रारंभ
छत्तीसगढ़ में जैव-विविधता के संरक्षण, संवर्धन एवं उचित प्रबंधन से स्थानीय ग्रामीणों को आर्थिक लाभ मिलना प्रारंभ
ग्रामीणों को लाभ की राशि मिलने से जैव-विविधता के संरक्षण व संवर्धन को मिलेगा बढ़ावा: वन मंत्री श्री अकबर
राज्य के 12,004 स्थानीय निकायों में से अब तक 11,455 निकायों में
बी.एम.सी. का गठन पूर्णरायपुर, 15 अक्टूबर 2020/ छत्तीसगढ़ में जैव विविधता के संरक्षण का सीधा लाभ ग्रामीणों को मिलना प्रारंभ हो गया है। इसके लिए राज्य का प्रथम अनुबंध छत्तीसगढ़ राज्य जैव-विविधता बोर्ड और ग्राम मुलिगई कंपनी लिमिटेड के बीच 09 अक्टूबर 2020 को निष्पादित किया गया। छत्तीसगढ़ के वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन तथा छत्तीसगढ़ राज्य जैव-विविधता बोर्ड के अध्यक्ष एवं प्रधान मुख्य वनसंरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी के नेतृत्व में उक्त अनुबंध पर बोर्ड की ओर से श्री एम.टी. नंदी और जी.एम.सी.एल. की ओर से श्री होरीलाल वर्मा द्वारा हस्ताक्षरित किया गया। जैविक विविधता अधिनियम 2002 एवं छत्तीसगढ़ जैव-विविधता नियम 2015 के तहत राज्य के बारह हजार चार स्थानीय निकायों में जैव-विविधता प्रबंधन समिति (बी.एम.सी.) का गठन किया जाना था। जिसमें से अब तक 11 हजार 455 स्थानीय निकायों में बी.एम.सी. का गठन किया जा चुका है। नवीन गठित ग्राम पंचायतों में बी.एम.सी. के गठन की कार्यवाही की जा रही है। जैव-विविधता प्रबंधन समितियों तथा स्थानीय ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने तथा उन्हें जैव-विविधता संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति जागरूक करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य जैव-विविधता बोर्ड के द्वारा राज्य में जैविक विविधता अधिनियम 2002 तथा छत्तीसगढ़ जैव-विविधता नियम 2015 में प्रावधानित नियमों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत राज्य में जैविक संसाधनों तक ‘पहुंच और लाभ के बंटवारे से सम्बंधित (ए.बी.एस) विनियम 2014‘ को लागू किया जा रहा है। इस विनियम के पूर्णरूपेण लागू होने के उपरांत स्थानीय निकायों के अंतर्गत पाए जाने वाले जड़ी-बूटियों, जड़ों, बीजों और अन्य जैविक संसाधनों का वाणिज्यिक उपयोग करने वाले प्रत्येक एजेंसी, कंपनी, इंडस्ट्री, सप्लायर्स अथवा संस्था को वाणिज्यिक उपयोग का फायदा बांटना आवश्यक होगा। साथ ही फायदे की इस राशि को संबंधित जैव-विविधता प्रबंधन समिति के साथ साझा करने से स्थानीय ग्रामीणों को आय के अतिरिक्त स्रोत प्राप्त होंगे। जैव-विविधता संरक्षण का सीधा लाभ राशि के रूप में ग्रामीणों को मिलने से जैव-विविधता संरक्षण, संवर्धन एवं इसके उचित प्रबंधन को बढ़ावा मिल सकेगा। जैविक संसाधनों तक पहुंच और सहयुक्त जानकारी तथा फायदे का बंटवारा (ए.बी.एस.) विनियम 2014 के अनुसार जब जैविक संसाधनों के वाणिज्यिक उपयोग के लिए उन्हें प्राप्त किया जाता है, तो प्रत्येक एजेंसी, कंपनी, इंडस्ट्री, सप्लायर्स, संस्था को वाणिज्यिक उपयोग से होने वाले फायदे को स्थानीय निकायों के साथ बांटना होता है। उक्त व्यवस्था को सुचारू रूप से क्रियान्वयन तथा जैव संसाधनों को प्राप्त करने के लिए जैव-विविधता अधिनियम की धारा-7 के अंतर्गत उक्त इकाई को निर्धारित प्रारूप में एवं निर्धारित फीस के साथ छत्तीसगढ़ राज्य जैव-विविधता बोर्ड कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत करना आवश्यक है। तत्पश्चात सम्बंधित वाणिज्यिक इकाई को बोर्ड के साथ अनुबंध किया जाना आवश्यक होता है। विनियम 2014 के तहत छत्तीसगढ़ राज्य जैव-विविधता बोर्ड और ग्राम मुलिगई कंपनी लिमिटेड (जी.एम.सी.एल.) के मध्य वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 के लिए 09 अक्टूबर 2020 को राज्य के प्रथम अनुबंध का निष्पादन किया गया। इस अनुबंध के अनुसार जी.एम.सी.एल. द्वारा जैविक संसाधनों की खरीद मूल्य का 3 प्रतिशत का भुगतान करने के लिए सहमति प्रदान की गयी। उपरोक्त लाभ की 95 प्रतिशत राशि सीधे संबंधित जैव-विविधता प्रबंधन समितियों को प्रदान की जाएगी। जिससे इन जैव विविधता प्रबंधन समितियों को उनके क्षेत्र में जैव-विविधता संरक्षण एवं संवर्धन कार्य हेतु आर्थिक सहायता प्राप्त होगी। यह अनुबंध राज्य में जैविक संसाधनों का व्यापार करने वाले अधिक से अधिक ऐसे एजेंसी, कंपनी, इंडस्ट्री, सप्लायर्स अथवा संस्था को आगे आने के लिए प्रोत्साहित करेगा और वे स्थानीय लोगों के साथ लाभ साझा करने के लिए इस तरह के समझौतों का अनुबंध करेंगे।
क्रमांक-4466/प्रेम/खेलू