संजय कॉम्प्लेक्स सब्जी मंडी, घिर सकता है विवादों में
खुदरा सब्जी विक्रेताओं की पेट पर एक और लात
रायगढ़ २० मार्च। संजय कॉम्प्लेक्स में एक सर्वसुविधायुक्त एवं सुव्यवस्थित दैनिक सब्जी मंडी का सपना पिछले कई सालों से न केवल उस मंडी में खुदरा सब्जी और फल बेचने वाले, छोटे कारोबारी देख रहे हैं बल्कि यह पूरा शहर यही सपना वर्षों से देखता आ रहा है और जब कभी इस सपने के साकार होने की दिशा में कुछ शुरू होता है तो अकस्मात इस सपने के रास्ते में कई रोड़े उपस्थित हो जाते हैं। फिलहाल इस बहुप्रतिक्षित सपने की यही स्थिति है।
संजय कॉम्प्लेक्स में एक सब्जी मंडी की स्थापना के लिये वर्ष २०१२ में करीब २ करोड़ रूपये की प्रशासनिक एवं तकनीकी स्वीकृति दी जा चुकी थी, हर तरह के लायसेंस जारी किये जा चुके थे और कलेक्टर के आदेश अनुसार निगम प्रशासन, एसडीएम, तहसीलदार के अलावे जनप्रतिनिधियों की संयुक्त टीम के द्वारा स्थल जाँच, भौतिक सत्यापन और वीडियो ग्राफी के बाद ६५१ खुदरा सब्जी विक्रेताओं की पहचान की गई थी, लेकिन तभी निगम प्रशासन के चालबाज अधिकारियों ने हर मायनों में स्वीकृत सब्जी मंडी के प्रस्ताव पर अडग़े लगा दिये थे। इसी तरह के अडग़े पिछले कुछ वर्षों से लगातार इस सब्जी मंडी की परिकल्पना के आगे आते रहे हैं और यह सब्जी मंडी आज भी फाइलों से बाहर निकल नहीं पाई है। इसके पीछे अगर कोई कारण हो सकता है तो वह यही है कि शहर के हृदय स्थल पर स्थित सब्जी मंडी की बेशकीमती जमीन पर कुछ जमीनखोरों की लालची नजर टिकी हुई है। फिलवक्त इसका एक बड़ा उदाहरण यही है कि सब्जी मंडी के निर्माण के लिये उच्च न्यायालय में जो नक्शा प्रस्तुत किया गया है उसमें भूखण्ड के पूरे क्षेत्रफल का रकबा नहीं बतलाया गया है जबकि सब्जी मंडी के लिये आरक्षित नजूल शीट नं.४४ प्लाट नं.१८९/१ रकबा १८५५१३ १/२ को एक सुव्यवस्थित दैनिक सब्जी मंडी के तौर पर चिन्हित किया जा चुका है। वर्षों पहले यहां अपने-अपने पसरों पर काबिज लोगों का सर्वे और वीडियो ग्राफी भी किया जा चुका है जिसके मुताबिक यहां तकरीबन ५०० खुदरा सब्जी विक्रेता अपने-अपने परसों पर काबिज पाये गये है। जिसके मुताबिक इन सभी को परसा आबंटन किया जाना चाहिए। इस निश्चित स्थिति के बावजूद नगर निगम प्रशासन की ओर से इस मामले में हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं के निराकरण के लिये जो नक्शा प्रस्तुत किया गया है उसमें क्षेत्रफल का कोई जिक्र नहीं है और यह बताया गया है कि प्रस्तावित सब्जी मंडी का निर्माण तीन तलों में जिसमें भूतल पर पार्किंग, ग्राऊंड फ्लोर पर गैर सब्जी व्यवसायी और फस्ट फ्लोर के छत पर सब्जी मंडी लगाई जायेगी। निगम का यह नक्शा एक बार फिर संजय कॉम्प्लेक्स सब्जी मंडी को विवाद के दायरे में लाने के अलावे और कुछ नहीं है। क्या आपने कभी कल्पना भी की होगी कि आपको सब्जी खरीदने के लिये किसी बिल्डिंग के छत पर जाना पड़ेगा। हमारी जानकारी के मुताबिक छत पर लगने वाली सब्जी मंडी और कहीं नहीं है। इसका सीधा सा मतलब यही है कि निगम प्रशासन एक बार फिर सब्जी मंडी के निर्माण को इरादतन विवाद में डालना चाहता है।
बहरहाल सब्जी विक्रेताओं के संगठन ने जमीनखोरों के लालच के सामने अपनी सामूहिक शक्ति झोंक दी है अब देखना यही है कि निगम एवं स्थानीय प्रशासन इस पूरे मसले पर अपनी भूमिका को किस तरह पूरी करेगा?
श्याम बगीची को गाईड लाईन रेट पर जमीन
यहां यह भी बताना होगा कि इस बीच संजय कॉम्प्लेक्स स्थित सब्जी मार्केट में शामिल एक बड़े भूखण्ड को श्याम मंदिर वालों ने साल में एक बार आयोजित होने वाले जन्माष्टमी उत्सव के लिये छत्तीसगढ़ सरकार की नई नीति के तहत गाईड लाईन रेट से १५२ प्रतिशत अधिक पर उनके नाम से आबंटित करने की दरखास्त लगाई है जिस पर खुदरा सब्जी व्यापारी संघ की ओर से अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा है कि निगम को संजय कॉम्प्लेक्स का भूखण्ड एक सुव्यवस्थित सब्जी मार्केट विकसित करने के लिये दिया गया है। खुदरा व्यापारी संघ का कहना है कि ऐसी स्थिति में न तो निगम प्रशासन को और न ही जिला प्रशासन को संजय कॉम्प्लेक्स स्थित भूखण्ड का आबंटन किसी भी संस्था को करने का कोई अधिकार नहीं है। असल बात यह है कि शहर के हृदय स्थल पर स्थित संजय कॉम्प्लेक्स एक बेशकीमती भूखण्ड है जिस पर बहुत पहले से ही लालची जमीनखोरों की नजर टिकी हुई है और वे किसी न किसी तरीके से इस बेशकीमती भूखण्ड को हथियाने की जुगत में हैं। अगर इस बात का विरोध खुदरा सब्जी-फल विक्रे्रता संघ कि ओर से लगातार हर स्तर पर नहीं की गई होती तो संजय कॉम्प्लेक्स में एक सुव्यवस्थित दैनिक सब्जी मंडी का सपना कब का चूर-चूर हो गया होता। इन मायनों में खुदरा सब्जी फल विक्रेता संघ के सचिव कृष्णकांत कछवाहा और अन्य पदाधिकारी लगातार संघर्ष नहीं कर रहे होते तो बहुत पहले संजय कॉम्प्लेक्स के भूखण्ड पर एक बहुमंजिला शॉपिंग मॉल बनकर खड़ा हो गया होता।
संघ ने जताई बंदरबांट की आशंका
निगम द्वारा जारी किये गये केविएट के संबंध में संघ के सचिव द्वारा निष्पक्ष पारदर्शी कार्रवाई हेतु जिला प्रशासन, निगम प्रशासन से लेकर माननीय उच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के अधिवक्ता साथ ही जिला न्यायालय के अधिवक्ता सभी को सूचना पत्र प्रेषित किया गया है। उन्हें न सूने जाने पर उक्त बाजार निर्माण कार्य विवादित होते हुए एक बार फिर अधर में लटक सकता है। संघ पारदर्शी कार्रवाई के लिये बाजार प्रकरण मामले को हाईकोर्ट के डबल बेंच से सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने से पीछे नहीं हटेगा। संघर्ष जारी रहेगा चूंकि यह मामला सब्जी व्यवसायियों के अस्तित्व, उनके रोजी-रोजगार और बाल-बच्चों की जीविका का सवाल है। बाजार के लिये आरक्षित भूमि को रसूख के बल पर कमिशनखोरी, बंटरबांट की भेंट नहीं चढऩे दिया जायेगा।