हर 3 महीने में फर्जी सत्यापन, जब दबिश दी तो मिले 150 साल गोले, पर अब कार्रवाई से कतरा रहे अफसर

रायगढ़. वन विभाग के अफसर हर तीन माह में शहर के फर्नीचर व्यवसायियों का फर्जी सत्यापन दफ्तर में बैठे-बैठे ही कर देते थे, लेकिन जब विभाग ने इन कारोबारियों के ठिकानों में दबिश दी तो कई दस्तावेज कम मिले। साथ ही भारी मात्रा में अवैध साल, सागौन और बीजा के गोले भी मिले। छातामुड़ा स्थित आरके फर्नीचर मार्ट में 150 से ज्यादा साल के अवैध गोले मिले। इसके बावजूद विभाग के अफसर इन व्यवसायियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर सका है। अफसरों का कहना है कि अब तक इन व्यवसायियों के विरूद्ध जांच पूरी नहीं हो सकी है। उल्लेखनीय है कि वन मंडल के रायगढ़ वन परिक्षेत्र के बंगुरसिया सर्किल से चक्रधर नगर पुलिस ने दो लाख रुपए का अवैध साल गोला पकड़ कर विभाग के सुपुर्द किया था। मामले में विभाग ने आरोपियों से पूछताछ के बाद मौके पर ठूंठ मिलान किया और 14 सितंबर के बाद एक-एक कर आधा दर्जन से ज्यादा फर्नीचर व मिल कारोबारियों के ठिकानों पर दबिश दी। जांच में वन विभाग को आरके फर्नीचर मार्ट में सबसे ज्यादा 150 से ज्यादा साल गोले मिले। मनोज खेमका समेत अन्य फर्नीचर व्यवसायियों के ठिकानों पर भी मौजूद लकड़ियों का हिसाब व्यवसायी नहीं दे सके। इस पूरी प्रक्रिया को एक माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन विभाग अब तक मामले में जांच अधूरी होने की बात कह कर अपना बचाव कर रहा है। दूसरी तरफ अफसरों पर वन सरंक्षण समितियों से जुड़े सदस्य हर बार की तरह इस बार भी कारोबारियों को बचाने की बात कह रहे हैं।
हर तीन से चार माह में सा मिल का करते हैं सत्यापन
वन विभाग के अफसरों के अनुसार प्रत्येक तीन से चार माह के भीतर फर्नीचर व मिल संचालकों की सत्यापन कराई जाती है। इसकी जिम्मेदारी उड़नदस्ता और अन्य अधीनस्थ स्टाफ की होती है, लेकिन कम समय में इन फर्मों में लकड़ी का मिलान और सत्यापन करना मुश्किल होता है। इसलिए चोरी नहीं पकड़ में नहीं आती है।
गड़बड़ी करने का शक,इन व्यवसायियों की हुई जांच
बंगुरसिया में साल गोला पकड़े जाने के बाद विभाग ने लगातार तीन दिनों में संजय खेमका, मनोज टिम्बर, और गुप्ता सा मिल, आरके फर्नीचर मार्ट की जांच हो चुकी है।
कार्रवाई करने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा
“मामले में जांच लगभग पूरी हो गई है, लेकिन कार्रवाई में थोड़ा वक्त और लगेगा। किस व्यवसायी के पास कितनी अवैध लकड़ी मिली और कौन-कौन से दस्तावेज अधूरे हैं, यह हम अभी नहीं बता सकते हैं। किसी को बचाने जैसी कोई बात नहीं है, जिनके विरूद्ध। साक्ष्य मिलेंगे विभाग कार्रवाई करेगा।”
-मनोज पांडेय, डीएफओ रायगढ़

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