35 सौ एकड़ की फसल बर्बाद, रायगढ़, लैलूंगा और पुसौर में नुकसान


रायगढ़. खरीफ के सीजन में इस साल अच्छी बारिश तो हुई, लेकिन इसके बावजूद 5 तहसीलों में फसलों को नुकसान हुआ है। 20 अगस्त के बाद और अक्टूबर के पहले हफ्ते में हुई तेज बारिश से रायगढ़, लैलूंगा और पुसौर तहसील में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। यहां कुल 3525 एकड़ में लगी धान समेत अन्य खरीफ की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई। विभाग इसे कुल बोआई का 15 प्रतिशत ही बता रहा है। इस साल मानसून समय से आने के कारण जिले के सभी तहसीलों में अच्छी बारिश हुई है। पर्याप्त बारिश की वजह से फसलों की सिंचाई की भी आवश्यकता नहीं पड़ी, लेकिन 5 तहसीलों में बारिश को पानी खेतों में जमा होने के कारण फसल खराब हो गई। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान रायगढ़ तहसील में हुआ, यहां 2120 एकड़ की फसल प्रभावित हुई। पुसौर में महानदी के किनारे सूरजगढ़ समेत आधा दर्जन गांव में करीब 625 एकड़ में धान की फसल पूरी तरह चौपट हो गई। लैलूंगा में 295, तमनार में 405 और खरसिया में 80 एकड़ धान की फसल को नुकसान हुआ है। कृषि विभाग द्वारा इस खरीफ सीजन में अच्छी बारिश के कारण किसानों ने समय पर बुआई, रोपाई समेत सभी कार्य निपटा लिए थे, लेकिन अगस्त में अचानक तेज बारिश ने इन क्षेत्रों में फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।
बादल और हवा में गिर गई धान की फसल
अक्टूबर के पहले सप्ताह में हुई बारिश और तेज हवा के कारण धान की खड़ी फसलें गिर गई है। इससे भी किसानों को 10 से 15 फीसदी तक नुकसान का डर बना हुआ है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गिर चुकी फसलों तक सूर्य प्रकाश नहीं पहुंचने के कारण बालियों में नमी की मात्रा अधिक होने से नुकसान का डर ज्यादा रहेगा।
इन चार तहसीलों में नुकसान नहीं
कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सारंगढ़, बरमकेला, धरमजयगढ़ और घरघोड़ा में इस साल उत्पादन की स्थिति अच्छी है। बारिश से यहां नुकसान शून्य है। हालांकि विभाग के अधिकारी फसल कटाई के बाद नुकसान का सटीक मूल्यांकन करने की बात कह रहे हैं।
प्रति हेक्टेयर 39 क्विंटल उत्पादन का अनुमान
विभाग द्वारा किए गए प्रयोग के अनुसार इस साल प्रति हेक्टेयर 39 से 40 क्विंटल धान के उत्पादन का अनुमान है। अफसरों ने बताया कि बारिश के बाद अलग-अलग तहसीलों में खेतों में जाकर खड़ी फसलों की बालियों का परीक्षण के बाद यह अनुमान जारी किया गया है।
कुल बुआई की तुलना में नुकसान कम
“इस साल अच्छी बारिश जिले में हुई है। कुछ तहसीलों में नदी किनारे बसे गांवों में धान की फसल अधिक समय तक पानी में डूबे होने के कारण खराब हुई है। लेकिन यह नुकसान कुल बुआई की तुलना में महज 12 से 15 प्रतिशत है।”
-ललित मोहन भगत, उप संचालक कृषि

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