October 2, 2025

बाढ़ से लाखों की मक्का फसल बर्बाद, कर्ज तले दबे किसान कर रहे मुआवजे की मांग

गरियाबंद जिले में भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। बरही नदी पर आई बाढ़ से अमाड़ गांव के नौ से ज्यादा किसानों की करीब 15 एकड़ जमीन पर लगी मक्का और धान की फसल पूरी तरह चौपट हो गई। इस बर्बादी से लगभग 6 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। खास बात यह है कि इन किसानों ने खेती के लिए करीब 2 लाख रुपए का साहूकारी कर्ज ले रखा था, जिसे अब चुकाना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया है।

इसी तरह देवभोग के अमलीपदर तहसील में भी नदी-नालों के किनारे बोए गए करीब 100 एकड़ रकबे में लगी मक्का की फसल बर्बाद हो गई है। अनुमान के मुताबिक यहां 40 लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। मानसून विदाई के बावजूद पिछले चार दिनों से हो रही लगातार मूसलाधार बारिश ने किसानों की उम्मीदें तोड़ दी हैं। अमाड़ के मोहन बीसी, शत्रुघ्न नागेश, तुलसी नागेश, गणेश पौंड, पुस्तम और अन्य किसानों का कहना है कि उन्होंने साहूकारी कर्ज पर बीज, खाद और गुड़ाई के लिए पैसा लिया था, लेकिन अब मुनाफा तो दूर, मूलधन निकालना भी असंभव हो गया है।

किसानों का आरोप है कि बाढ़ से हर बार नुकसान की वजह ओडिशा सरकार द्वारा 10 साल पहले बनाए गए 30 मीटर बॉक्स कल्वर्ट पुल से भी जुड़ी है। यह पुल नवरंगपुर जिले के चंदहांडी ब्लॉक को कालाहांडी से जोड़ता है और इसका स्ट्रक्चर छत्तीसगढ़ की सीमा में बना है। शुरुआत से ही किसान इसका विरोध कर रहे थे, क्योंकि पुल के कारण नदी के बहाव में अवरोध उत्पन्न होता है और बाढ़ का पानी खेतों में भर जाता है। किसान कहते हैं कि ओडिशा के लोगों की सुविधा के लिए उन्हें बार-बार फसल गंवाने की कीमत चुकानी पड़ रही है।

देवभोग के तहसीलदार अजय कुमार चंद्रवंशी ने जानकारी दी कि लगातार बारिश के बाद फसलों और मकानों के नुकसान की रिपोर्ट मिल रही है। पटवारियों की टीम गठित की जा रही है, जो नुकसान का आकलन कर उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपेगी। इसके आधार पर प्रभावित किसानों को राहत देने पर निर्णय होगा।

किसान इस आपदा को प्राकृतिक आपदा घोषित करने और उचित मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि समय पर सहायता नहीं मिली तो साहूकारी कर्ज का बोझ उन्हें और गहरे संकट में धकेल देगा। वहीं, बाढ़ के दौरान त्रिवेणी संगम और अन्य इलाकों से आई तस्वीरों ने भी चिंता बढ़ा दी है, जहां लोग जान जोखिम में डालकर सेल्फी और वीडियो बनाते नजर आए। बेलाट नाला पार करते वक्त कई हादसे हो चुके हैं, लेकिन सुरक्षा इंतजाम नदारद हैं।

इस आपदा ने न केवल किसानों की आजीविका पर संकट खड़ा कर दिया है, बल्कि प्रशासन के सामने भी राहत और मुआवजा देने की बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।

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