छत्तीसगढ़ की बेटी दिव्या रंगारी ने मलेशिया में रचा इतिहास, भारत को दिलाया गोल्ड

एशियन बास्केटबॉल चैंपियनशिप 2025 में छत्तीसगढ़ की दिव्या का चमका सितारा, महासमुंद में हुआ भव्य स्वागत
महासमुंद। छत्तीसगढ़ की धरती की होनहार बेटी दिव्या रंगारी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतिहास रच दिया है। मलेशिया में 13 से 19 सितंबर तक आयोजित अंडर-16 एशियन वूमेन्स बास्केटबॉल चैंपियनशिप 2025 में भारत की टीम ने स्वर्ण पदक जीत लिया। इस टीम में महासमुंद जिले की दिव्या ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। भारत ने पूरे आठ साल बाद इस टूर्नामेंट में वापसी करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया।

टूर्नामेंट का सफर
मलेशिया में आयोजित इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में कुल आठ देशों की टीमें शामिल हुई थीं। भारतीय टीम ने शुरू से ही शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल तक पहुंचने में सफलता हासिल की। निर्णायक मुकाबले में दिव्या और उनकी टीम ने दमदार खेल दिखाते हुए गोल्ड पर कब्जा किया। इस जीत में दिव्या का योगदान अहम रहा। वह इस प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ से शामिल होने वाली एकमात्र खिलाड़ी थीं।
महासमुंद में भव्य स्वागत
स्वर्ण पदक जीतकर जब दिव्या अपने गृह नगर लौटीं तो पूरा महासमुंद मानो झूम उठा। जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए थे। गाजे-बाजे की धुन, आतिशबाजी और भारत माता की जय के नारों के बीच दिव्या का स्वागत किया गया। लोग फूल-मालाओं और मिठाइयों के साथ उन्हें सम्मानित करने पहुंचे। खेल प्रेमियों, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों और आम जनता ने इस पल को यादगार बना दिया।
दिव्या का संदेश
स्वागत समारोह में दिव्या ने कहा कि खिलाड़ी को किसी भी परिस्थिति में हार माननी नहीं चाहिए। कठिन हालात में मैदान छोड़ने के बजाय डटे रहकर संघर्ष करने से ही जीत मिलती है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच, माता-पिता और बास्केटबॉल संघ को दिया।
पिता की प्रतिक्रिया
दिव्या के पिता ने कहा कि पहले लोग उन्हें नाम से नहीं पहचानते थे, लेकिन अब उनकी पहचान उनकी बेटी की उपलब्धियों से हो रही है। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए सबसे बड़ा गर्व का क्षण है।
संघ की प्रतिक्रिया
बास्केटबॉल संघ ने भी दिव्या की सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि आने वाले समय में खिलाड़ियों को और बेहतर मंच उपलब्ध कराया जाएगा ताकि अधिक से अधिक प्रतिभाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर सकें।