फारूक हत्याकांड : हाईकोर्ट ने उम्रकैद घटाई, आरोपियों को 10 साल की सजा
रायपुर के बहुचर्चित फारूक खान हत्याकांड में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपियों को राहत दी है। ट्रायल कोर्ट से उम्रकैद की सजा पाने वाले तीनों आरोपियों की सजा घटाकर हाईकोर्ट ने 10-10 साल कठोर कैद कर दी। न्यायालय ने माना कि यह घटना पूर्व नियोजित हत्या नहीं थी, बल्कि अचानक हुए विवाद और गुस्से का नतीजा थी। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने सुनाया।
पूरा मामला 14 फरवरी 2022 की रात का है। रायपुर के बैजनाथपारा में एक शादी समारोह के दौरान डीजे पर नाचने को लेकर विवाद हो गया। इस मामूली बहस ने धीरे-धीरे तूल पकड़ लिया। विवाद के दौरान आरोपी राजा उर्फ अहमद रजा ने जेब से चाकू निकाला और गुस्से में फारूक खान के सीने पर वार कर दिया। फारूक को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गंभीर चोट लगने से उसकी मौत हो गई।
घटना के बाद पुलिस ने राजा के साथ उसके साथी मोहम्मद इश्तेखार और मोहम्मद शाहिद को गिरफ्तार किया। फरवरी 2024 में ट्रायल कोर्ट ने राजा को हत्या (धारा 302) और इश्तेखार व शाहिद को हत्या में सहभागिता (302/34) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की।
हाईकोर्ट में बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि यह घटना अचानक हुई थी, इसमें कोई पूर्व योजना या साजिश शामिल नहीं थी। मेडिकल रिपोर्ट से भी साफ है कि केवल एक ही चाकू का वार किया गया था। वहीं राज्य पक्ष ने सजा बरकरार रखने की मांग की, लेकिन अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यह मामला आईपीसी की धारा 300 के अपवाद 4 के अंतर्गत आता है। यानी अचानक हुए झगड़े और उत्तेजना में की गई वारदात, जिसे हत्या नहीं बल्कि “गैरइरादतन हत्या” (Culpable Homicide) माना जाता है।
हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों की सजा को धारा 304 (भाग-1) में परिवर्तित कर दिया। इसके तहत राजा, इश्तेखार और शाहिद को 10-10 साल कठोर कैद और 500-500 रुपये का जुर्माना लगाया गया। साथ ही आर्म्स एक्ट के तहत राजा को दी गई एक साल की सजा पहले जैसी ही बरकरार रहेगी। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि शादी समारोह में अचानक उत्पन्न हुए विवाद में कोई पूर्वनियोजित साजिश या हथियारबंद योजना नहीं थी। यह हत्या नहीं बल्कि गैरइरादतन हत्या का मामला है, इसलिए आरोपियों को उम्रकैद से राहत दी जाती है।