ट्रंप का दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने का एलान, भारत-अमेरिका व्यापार पर बड़ा असर

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर आक्रामक टैरिफ नीति का एलान किया है। उन्होंने दवाइयों सहित कई आयातित उत्पादों पर भारी-भरकम आयात कर लगाने का फैसला किया है। ट्रंप ने कहा कि दवाओं पर 100%, किचन कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी पर 50%, गद्देदार फर्नीचर पर 30%, और भारी ट्रकों पर 25% आयात शुल्क लगाया जाएगा। ये नियम 1 अक्टूबर 2025 से लागू होंगे।
ट्रंप का तर्क
ट्रंप का मानना है कि इन टैरिफ से सरकारी बजट घाटा घटेगा और घरेलू उद्योग को मजबूती मिलेगी। उनके मुताबिक, अमेरिका को विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करनी होगी। अगस्त में लागू किए गए व्यापार समझौतों और टैरिफ के बावजूद ट्रंप ने स्पष्ट किया कि वे कड़े आयात करों के पक्षधर हैं।
भारत पर सीधा असर
इस फैसले का सबसे बड़ा असर भारत पर पड़ सकता है। भारत दुनिया का एक बड़ा फार्मा निर्यातक है और अमेरिका उसका सबसे बड़ा बाजार है। बीते वित्त वर्ष में भारत ने 2.5 लाख करोड़ रुपये (27.9 अरब डॉलर) की दवाइयों का निर्यात किया था, जिसमें से सिर्फ अमेरिका को ही 77 हजार करोड़ रुपये (8.7 अरब डॉलर) की दवाएं भेजी गईं। 2025 के पहले छह महीनों में ही अमेरिका को भारत ने 32,505 करोड़ रुपये (3.7 अरब डॉलर) की दवाओं का निर्यात किया है।
100% टैरिफ लागू होने के बाद भारत की सस्ती जेनेरिक दवाएं भी अमेरिकी बाजार में महंगी हो जाएंगी। इससे भारत की प्रतिस्पर्धा कम होगी और अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी दवाइयां महंगी मिलेंगी।
प्रभावित कंपनियां
भारतीय फार्मा कंपनियों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है। खासकर डॉ. रेड्डीज, सन फार्मा, लुपिन जैसी दिग्गज कंपनियां इस झटके से प्रभावित होंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि सबसे ज्यादा असर ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर पड़ेगा, हालांकि जेनेरिक दवाओं की स्थिति को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है।
वैश्विक असर और आशंकाएं
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का यह कदम अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भी परेशानी खड़ा करेगा। महंगे आयात का मतलब है कि अमेरिका में महंगाई और बढ़ेगी, जिससे आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी हो सकती है। वहीं भारत के लिए यह झटका निर्यात घटाने वाला साबित हो सकता है।