October 18, 2025

करबला तालाब में डेढ़ करोड़ के निर्माण कार्यों पर रोक, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राकेश गुप्ता की शिकायत पर वेटलैंड अथॉरिटी की कार्रवाई

रायपुर। राजधानी रायपुर के ऐतिहासिक करबला तालाब में किए जा रहे डेढ़ करोड़ रुपये के निर्माण कार्यों पर अब रोक लगा दी गई है। यह कार्रवाई सामाजिक कार्यकर्ता और ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. राकेश गुप्ता की शिकायत पर छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथॉरिटी द्वारा की गई है। अथॉरिटी ने रायपुर कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को निर्देश जारी करते हुए तालाब में चल रहे सभी निर्माण कार्यों को तत्काल रोकने के आदेश दिए हैं।

दरअसल, मई 2023 में वेटलैंड अथॉरिटी ने रायपुर कलेक्टर को आदेश दिया था कि शहर के प्रमुख तालाबों—बूढ़ा तालाब, तेलीबांधा, महाराजबंध और करबला तालाब—की जांच कराई जाए। लेकिन कलेक्टर ने केवल करबला तालाब के लिए जांच समिति गठित की। जुलाई 2023 में रायपुर वन मंडल अधिकारी ने जांच रिपोर्ट सौंप दी थी, जिसमें बताया गया था कि करबला तालाब में निजी कंपनी द्वारा कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत 1.13 करोड़ रुपये के सौंदर्यीकरण कार्य प्रस्तावित हैं, जो वेटलैंड रूल्स 2017 का उल्लंघन करते हैं। रिपोर्ट में इन कार्यों को रोकने की सिफारिश की गई थी।

इसके बावजूद फरवरी-मार्च 2024 में तालाब के अंदर हाईएस्ट फ्लड लेवल से 50 मीटर के दायरे में पेवर और अन्य स्थायी संरचनाएं बना दी गईं। जब डॉ. गुप्ता ने आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी, तो यह स्पष्ट हुआ कि रिपोर्ट वेटलैंड अथॉरिटी को भेजी ही नहीं गई थी। इसके बाद उन्होंने सितंबर 2025 में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग) को शिकायत भेजी। शिकायत में बताया गया कि अब फिर से 1.5 करोड़ रुपये की लागत से रिटेनिंग वॉल और अन्य कार्य प्रस्तावित हैं, जो नियमों के विरुद्ध हैं।

वेटलैंड अथॉरिटी ने शिकायत को गंभीर मानते हुए कलेक्टर से 2023 की जांच रिपोर्ट तुरंत प्रस्तुत करने और रायपुर नगर निगम को करबला तालाब में किसी भी नए निर्माण कार्य पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। नियमों के अनुसार, वर्ष 2007 से आज तक के औसत हाईएस्ट फ्लड लेवल से 50 मीटर के भीतर किसी भी स्थायी निर्माण—जैसे सड़क, रिटेनिंग वॉल, पेवर या भवन—की अनुमति नहीं दी जा सकती।

2023 की जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया था कि सौंदर्यीकरण के नाम पर किए जा रहे कार्यों से तालाब की जल धारण क्षमता, जल क्षेत्रफल और पर्यावरणीय संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। डॉ. गुप्ता ने वेटलैंड अथॉरिटी को सुझाव दिया है कि चूंकि कलेक्टर ने रिपोर्ट साझा नहीं की है, इसलिए अथॉरिटी स्वयं सूचना का अधिकार (RTI) के तहत रिपोर्ट प्राप्त करे और अन्य तालाबों की लंबित जांचों पर भी कार्रवाई सुनिश्चित करे।

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